1996 वर्ल्ड कप का पूरा इतिहास, श्रीलंका ने कैसे जीता पहला वर्ल्ड कप ?

Updated: Fri, Sep 29 2023 15:09 IST
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श्रीलंका क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप के इतिहास में सिर्फ एक ही बार ट्रॉफी जीती है और उनके लिए ये पल 1996 क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान आया। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा आयोजित ये छठा क्रिकेट वर्ल्ड कप था जिसे भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने मिलकर होस्ट किया था। पाकिस्तान और भारत द्वारा आयोजित किया जाने वाला ये दूसरा वर्ल्ड कप था लेकिन श्रीलंका पहली बार मेजबान था। भारत ने 17 विभिन्न स्थानों पर 17 मैचों की मेजबानी की, जबकि पाकिस्तान ने 6 स्थानों पर 16 मैचों की मेजबानी की और श्रीलंका ने 3 स्थानों पर 4 मैचों की मेजबानी की।

वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया ने श्रीलंका जाने से किया इनकार

इस टूर्नामेंट का कोई भी मैच खेले जाने से पहले विवाद ने टूर्नामेंट को घेर लिया। जनवरी 1996 में तमिल टाइगर्स द्वारा कोलंबो में सेंट्रल बैंक पर बमबारी के बाद ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज ने अपनी टीमों को श्रीलंका भेजने से इनकार कर दिया। एक व्यापक बातचीत के बाद, आईसीसी ने फैसला सुनाया कि श्रीलंका को दोनों मैच फोरफीट दिए जाएंगे। इस निर्णय के परिणामस्वरूप, श्रीलंका ने मैच खेलने से पहले ही स्वचालित रूप से क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया। प्रेमदासा स्टेडियम में दो मैच खेले जाने थे, लेकिन कोई भी मैच नहीं हुआ क्योंकि ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज ने श्रीलंका में खेलने से इनकार कर दिया था।

भाग लेने वाली टीमें

प्रतियोगिता में सभी टेस्ट खेलने वाले देशों (भारत, पाकिस्तान, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, न्यूज़ीलैंड, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और जिम्बाब्वे) ने भाग लिया, जिसमें जिम्बाब्वे भी शामिल था, जो पिछले वर्ल्ड कप के बाद आईसीसी का नौवां टेस्ट-दर्जा वाला सदस्य बन गया। 1994 आईसीसी ट्रॉफी के माध्यम से अर्हता प्राप्त करने वाली तीन एसोसिएट टीमें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), केन्या और नीदरलैंड ने भी 1996 में वर्ल्ड कप में पदार्पण किया। नीदरलैंड अपने सभी पांच मैच हार गया, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात से हार भी शामिल थी। जबकि केन्या ने पुणे में वेस्टइंडीज पर आश्चर्यजनक जीत दर्ज की। 

6-6 टीमों के दो ग्रुप में बांटी गई टीमें

इस वर्ल्ड कप में दो ग्रुप बनाए गए। ग्रुप ए में श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, भारत, जिम्बाब्वे और केन्या की टीमें थी। ग्रुप बी में साउथ अफ्रीका, पाकिस्तान, न्यूज़ीलैंड, इंग्लैंड, यूएई और नीदरलैंड्स की टीम थी।

क्वार्टफाइनल्स की कहानी 

दोनों ग्रुप्स में से 4-4 टीमें क्वार्टरफाइनल में पहुंची। ग्रुप ए से श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज और भारत की टीमें क्वार्टरफाइनल में पहुंची तो ग्रुप बी से साउथ अफ्रीका, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड की टीमों ने क्वार्टरफाइनल के लिए क्वालिफाई किया। इसके बाद इन 8 टीमों के बीच सेमीफाइनल की लड़ाई हुई। पहले क्वार्टरफाइनल में इंग्लैंड और श्रीलंका का सामना हुआ जिसमें श्रीलंका ने 5 विकेट से जीत दर्ज करके सेमीफाइनल में प्रवेश किया। दूसरे क्वार्टरफाइनल में भारत और पाकिस्तान की टक्कर हुई जिसमें भारत ने जीत दर्ज की और श्रीलंका के खिलाफ सेमीफाइनल का टिकट हासिल कर लिया। तीसरे क्वार्टरफाइनल में वेस्टइंडीज और साउथ अफ्रीका की टीमें भिड़ी जिसमें वेस्टइंडीज ने 19 रनों से जीत दर्ज करके सेमीफाइनल का टिकट हासिल किया। वहीं, सेमीफाइनल में पहुंचने वाली चौथी टीम ऑस्ट्रेलिया की थी जिन्होंने आखिरी क्वार्टरफाइनल मैच में न्यूज़ीलैंड को 6 विकेट से हराकर वेस्टइंडीज के खिलाफ सेमीफाइनल का टिकट पाया।

भारत और श्रीलंका पहला सेमीफाइनल ( भारतीय फैंस ने मचाया बवाल)

13 मार्च को 1996 वर्ल्ड कप का पहला सेमीफाइनल खेला गया और कलकत्ता में खेले गए इस मुकाबले में श्रीलंका ने भारत को हरा दिया। हालांकि, ये मैच आक्रोशित फैंस की वजह से पूरा ना हो सका और मैच रेफरी क्लाइव लॉयड ने श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया। कलकत्ता के ईडन गार्डन्स में अनुमानित 110,000 फैंस की भीड़ मौजूद थी और जब उन्हें लगा कि भारत ये मैच हारने की कगार पर है तो उन्होंने बवाल मचाना शुरू कर दिया जिसके चलते मैच को रोकना पड़ा। इस मैच में श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 8 विकेट के नुकसान पर 251 रनों का मजबूत स्कोर बनाया था। भारत ने लक्ष्य का पीछा करते हुए अच्छी शुरुआत की लेकिन सचिन तेंदुलकर के आउट होने के बाद भारतीय बल्लेबाजी क्रम ध्वस्त हो गया। 35वें ओवर में भारत के 8 विकेट पर 120 रन हो जाने के बाद, फैंस के एक वर्ग ने मैदान पर फल और प्लास्टिक की बोतलें फेंकना शुरू कर दिया। भीड़ को शांत करने की कोशिश में खिलाड़ी 20 मिनट के लिए मैदान से बाहर चले गए। जब खिलाड़ी खेलने के लिए लौटे, तो मैदान पर फिर से बोतलें फेंकी गईं और स्टैंड में आग लगा दी गई। ये सब होता देख मैच रेफरी क्लाइव लॉयड ने मैच श्रीलंका को दे दिया, जो टेस्ट या वनडे अंतर्राष्ट्रीय में अब तक का पहला डिफॉल्ट था।

दूसरा सेमीफाइनल

मोहाली में दूसरे सेमीफाइनल में, ऑस्ट्रेलिया 15/4 से उबरकर 50 ओवरों में 207/8 पर पहुंच गया। वेस्टइंडीज को फाइनल में पहुंचने के लिए 208 रनों का लक्ष्य मिला लेकिन पूरी टीम 202 रन बनाकर ऑलआउट हो गई और जीता हुआ मैच ऑस्ट्रेलिया को दे दिया। एक समय वेस्टइंडीज एकतरफा अंदाज़ में जीतता हुआ नजर आ रहा था क्योंकि एक समय उनका स्कोर 42वें ओवर में 165/2 था लेकिन कैरेबियाई टीम ने अपने आखिरी आठ विकेट 50 गेंदों में 37 रन के अंदर ही गंवा दिए और ऑस्ट्रेलिया को फाइनल का टिकट मिल गया।

श्रीलंका बनाम ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड कप 1996 फाइनल

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श्रीलंका ने फाइनल में टॉस जीता और ऑस्ट्रेलिया को पहले बल्लेबाजी करने का निमंत्रण दिया। श्रीलंका के इस फैसले से हर कोई हैरान था क्योंकि इससे पहले सभी पांच वर्ल्ड कप फाइनल में पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम ने ही ट्रॉफी जीती थी। खैर, ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 50 ओवरों में 241/7 का स्कोर बनाया जिसमें मार्क टेलर ने सर्वाधिक 74 रन बनाए। एक फाइनल में ये स्कोर चेज़ करना आसान नहीं था लेकिन श्रीलंका ने 47वें ओवर में ही सिर्फ 3 विकेट खोकर इसे चेज कर दिया और इस तरह श्रीलंका पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बन गया। श्रीलंका की इस जीत में अरविंद डी सिल्वा ने गेंद और बल्ले से अहम भूमिका निभाई। उन्होंने गेंदबाजी के दौरान 42 रन देकर 3 विकेट लिए और बल्ले से नाबाद 107 रन बनाकर प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार जीता। ये पहली बार था जब किसी टूर्नामेंट के मेजबान या सह-मेजबान ने क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता था।

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