कहानी उस इंडियन की, जो टूटे पैर के साथ मैदान पर उतरा और ऑस्ट्रेलिया को मेलबर्न में कर दिया चारों खाने चित्त

Updated: Mon, May 23 2022 16:01 IST
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भारत के क्रिकेट इतिहास को खंगाला जाए तो आपको कई ऐसे क्रिकेटर्स मिलेंगे जिन्हें उतनी शौहरत और पहचान नहीं मिली जितनी उन्हें मिलनी चाहिए थी। आज हम आपको ऐसे ही एक क्रिकेटर की कहानी बताएंगे जिसने इंडियन क्रिकेट की सेवा बहुत कम समय तक की लेकिन वो जितना भी खेले लाइमलाइट में रहे। जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत के पूर्व लेफ्ट आर्म स्पिनर दिलीप दोषी की, जो साल 1981 में टूटे पैर के साथ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले थे।

ये बात है 1981 में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे की जहां, टीम इंडिया पहला टेस्ट मैच हारने के बाद संघर्ष करती हुई नजर आ रही थी। पहले मैच को ऑस्ट्रेलिया ने पारी से जीत लिया था और इसके बाद दूसरा टेस्ट मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ था। इसके बाद बारी आई मेलबर्न टेस्ट की, जिसमें भारतीय टीम ने करिश्माई जीत हासिल की और जीत के नायक रहे दिलीप दोषी।

मेलबर्न में खेले गए इस टेस्ट मैच में बेशक गुंडप्पा विश्वनाथ को उनकी सेंचुरी की वजह से मैन ऑफ द मैच चुना गया लेकिन इस मैच में जीत की पटकथा जिस खिलाड़ी ने लिखी आज भी उस खिलाड़ी को उसका क्रेडिट नहीं मिला। ये कहानी है दिलीप दोषी की जो अपनी लेफ्ट आर्म स्पिन.के लिए जाने जाते थे।

दोषी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस मुकाबले में पैर के फ्रैक्चर के साथ खेले थे, जिसके बारे में कई साल बाद दोषी ने खुद खुलासा किया था। एक इंटरव्यू के दौरान दोषी ने बताया था, ‘उस मैच में मेरे पांव में फ्रैक्चर था लेकिन मैंने कहा कि मैं खेलूंगा। इस दौरान हर शाम मेरे पांव में इलेक्ट्रॉड लगाकर झटके दिए जाते थे। इन झटकों से काफी दर्द होता था लेकिन इसका फायदा सिर्फ इतना होता था कि इससे सूजन कम रहती थी। इस बात को बहुत कम लोग समझ पाए कि मैंने वो क्यों किया। अगर आप भी ये पूछते हैं कि मैंने वो क्यों किया तो मैंने वो इसलिए किया क्योंकि मुझे भरोसा था कि हम जीतने वाले हैं।’

दोषी ने मेलबर्न टेस्ट में शानदार गेंदबाज़ी करते हुए पहली पारी में तीन और दूसरी पारी में दो विकेट लिए थे। यानी देखा जाए तो ऑस्ट्रेलिया के एक चौथाई विकेट दोषी के हिस्से आए थे। हालांकि, दुखद बात ये रही कि दिलीप दोषी भारत के लिए सिर्फ चार साल ही खेल पाए। इस दौरान उन्होंने भारत के लिए 33 टेस्ट और 15 वनडे मैच खेले जिसमें कुल मिलाकर उन्होंने 136 इंटरनेशनल विकेट चटकाए।

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हालांकि, वो भारत के लिए 100 टेस्ट खेलने की काबिलियत रखते थे लेकिन दुर्भाग्य से वो 70 के दशक में खेले और उस समय भारत के पास पहले से ही इरापल्ली प्रसन्ना, बिशन सिंह बेदी, भगवत चंद्रशेखर और वेंकटराघवन की चौकड़ी थी। यही कारण है कि दोषी को आज भी फैंस भूल जाते हैं।

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