Cricket History - भारत का इंग्लैंड दौरा 1979
साल 1979 में भारत ने इंग्लैंड का दौरा किया। इंग्लैंड सीरीज से पहले भारत के 3 बड़े स्पिनर बिशेन सिंह बेदी, भागवत चंद्रशेखर और ईरापल्ली प्रसन्ना साल 1978 में पाकिस्तान के दौरे पर बिल्कुल फिके साबित हुए थे। इस सीरीज के बाद प्रसन्ना का करियर समाप्त हो गया और फिर जब बेदी और चंद्रशेखर इसके बाद साल 1979 में इंग्लैंड दौरे पर गए तब वो उनके करियर की आखिरी टेस्ट सीरीज साबित हुई।
इस दौरान भारत की कप्तानी श्रीनीवास वेंकेटराघवन को मिली जो तब टीम में एकमात्र प्रभावशाली स्पिनर थे और उन्होंने भारते के लिए आगे 4 साल तक और क्रिकेट खेला। भारत को इस दौरान साल 1979 के वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड और श्रीलंका के हाथों बड़ी हार मिली। हैरान कर देने वाली बात यह है कि श्रीलंका को तब आईसीसी की ओर से टेस्ट टीम का दर्जा नहीं मिला था।
इस दौरे पर भारत की शुरूआत बेहद खराब रही और एजबेस्टन के मैदान पर उन्हें पारी और रनों की हार मिली। लॉर्डस के मैदान पर हुए दूसरे टेस्ट मैच में इंग्लैंड की टीम ने भारत को 96 रनों पर ढ़ेर कर दिया और जवाब में 9 विकेट के नुकसान पर 419 रन बनाकर पारी घोषित की। मैच खत्म होने में अभी एक से ज्यादा दिन बाकी थे और भारत को अपनी हार सामने दिख रही थी। लेकिन उसके बाद दिलीप वेंगसकर और गुडप्पा विश्वनाथ के शानदार शतकों से भारत ने अपने ऊपर से इस बड़ी हार को टाला। वेंगसकर ने 103 तो वहीं विश्वनाथ ने 113 रन बनाए। तीसरे विकेट लिए उनके बीच 5 घंटे औऱ 20 मिनट के अंदर 220 रनों की साझेदारी हुई और आखिरकार भारतीय टीम यह मैच बचाने में कामयाब रही।
हेडिंग्ले में तीसरा टेस्ट मैच खेला जाना था जो बारिश की भेंट चढ़ गया। सीरीज का चौथा और आखिरी टेस्ट मैच ओवल के मैदान पर खेला गया। इस मैच में इंग्लैंड ने भारत को जीत के लिए 438 रनों का लक्ष्य रखा और भारत ने भी इस चुनौती को स्वीकार किया। चौथे दिन का खेल खत्म होने के बाद दोनो ओपनर सुनील गावस्कर और चेतन चौहान के दम पर भारत बिना किसी नुकसान 76 रन बनाकर मजबूत स्थिति था। आखिरी दिन भारत को 6 घंटे में जीत के लिए 362 रनों की जरूरत थी।
अगली सुबह इंग्लैंड के तेज गेंदबाज माइक हेंड्रीक कंधे में खिंचाव के कारण बाहर हो गए। सुनील गावस्कर और चेतन चौहान के बीच 213 रनों की साझेदारी हुई और चौहान 80 रन बनाकर आउट हुए। उसके बाद गावस्कर ने वेंगसकर के साथ भारत की गाड़ी को आगे बढ़ाया। जब चाय का वक्त हुआ तब भारत को महज 134 रनों की जरूरत थी और क्रीज पर अभी भी गावस्कर और वेंगसकर की जोड़ी मौजूद थी। एक समय भारत को आखिरी 20 ओवरों में जीत के लिए 110 रनों की जरूरत थी।
जब गावस्कर ने अपना दोहरा शतक पूरा किया तब भीड़ ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया। इस समय भारत की रन गति पर थोड़ा विराम लगा और 12 ओवरों में टीम को जीत के लिए 73 रनों की जरूरत थी। वेंगसकर 52 के नीजी स्कोर पर आउट हो गए। फिर भी लक्ष्य भारत से दूर नहीं था और गावस्कर अच्छे रंग में थे। लेकिन कप्तान वेंकेट ने एक हैरान कर देने वाला फैसला लिया और शानदार फॉर्म में चल रहे गुडप्पा विश्वनाथ की जगह कपिल देव को बल्लेबाजी के लिए भेजा।
तब कपिल देव नए थे और उन्होंने सीरीज में गेंद से बेहतरीन प्रदर्शन किया था। लेकिन बल्लेबाजी करने के लिए उतरे तो वह शून्य पर पवेलियन लौट गए। इसके बाद यशपाल शर्मा बल्लेबाजी के लिए गए। तब भारत को जीत के लिए 48 गेंदों में 49 रनों की जरूरत थी। गावस्कर 221 के नीजी स्कोर पर पवेलियन लौटे।
इसके बाद इयान बॉथम ने गुडप्पा विश्वनाथ, यजुरवेंद्र सिंह और यशपाल शर्मा को चलता किया और इसके बाद वेंकेट को रन आउट कर पवेलियन भेजा। इसके बाद करसन गावरी और भरत रेड्डी ने सावधानी से खेलते हुए भारत के लिए मैच को ड्रॉ करवाने में अहम भूमिका निभाई और तब भारत का स्कोर 8 विकेट के नुकसान पर 429 रन बनाए।
गावस्कर द्वारा खेली गई यह इन्निंग्स शायद उनके करियर की सबसे बेहतरीन पारियों में से एक थी।
सीरीज का परिणाम
- पहला टेस्ट, एजबेस्टन, बर्मिंघम - इंग्लैंड पारी और 83 रन से जीता
- दूसरा टेस्ट, लॉर्ड्स, लंदन - मैच ड्रॉ
- तीसरा टेस्ट, हेडिंग्ले, लीड्स - मैच ड्रॉ
- चौथा टेस्ट, केनिंगटन ओवल, केनिंगटन - मैच ड्रॉ