कौन बनेगा करोड़पति में सवाल 50 लाख रुपये का, जवाब लगभग 200 साल पुराने क्रिकेट मैच से है
केबीसी (कौन बनेगा करोड़पति) के इस सीजन में 50 लाख रुपये के लिए एक सवाल पूछा गया- फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू पर दोहरा शतक (200) बनाने वाले पहले बल्लेबाज कौन थे?
ऑप्शन थे: आर्थर श्रूसबरी, डब्ल्यूजी ग्रेस, डग इनसोल और टॉम मार्सडेन
हॉट सीट पर बैठे प्रतियोगी ने लाइफ लाइन में ऑडियंस पोल को चुना और उसमें सबसे ज्यादा वोट डब्ल्यूजी ग्रेस के लिए थे। बहरहाल प्रतियोगी ने कोई जोखिम नहीं उठाया और 25 लाख रुपये के इनाम के साथ शो क्विट कर दिया।
ये मानना होगा कि इस सवाल का सही जवाब देना आसान नहीं था। फर्स्ट क्लास क्रिकेट के ऐसे रिकॉर्ड भला कैसे याद होंगे? खैर अब तो इस रिकॉर्ड की चर्चा करेंगे ही और जवाब है- टॉम मार्सडेन (Tom Marsden)। उन्होंने नॉटिंघम के विरुद्ध शेफ़ील्ड एंड लेस्टर के लिए डेब्यू पर 227 रन बनाए। आज के क्रिकेट प्रेमियों के लिए निश्चित तौर पर मार्सडेन एक अनजान नाम है- कौन थे वे? इंग्लिश क्रिकेटर, जन्म 12 सितंबर 1803 और करियर 1826 से 1843 के बीच के 15 साल का। 1826 में डेब्यू किया था तो शेफ़ील्ड के डर्नॉल न्यू ग्राउंड (Darnall New Ground, Sheffield) में नॉटिंघम के विरुद्ध ये 227 का रिकॉर्ड स्कोर बनाया था। कुल 55 फर्स्ट क्लास मैच खेले- 1724 रनऔर 97 विकेट रिकॉर्ड रहा। ये रिकॉर्ड उन्हें कोई बहुत बेमिसाल बल्लेबाज साबित नहीं करता। डेब्यू पर 227 बना दिए पर इसके बाद सिर्फ एक और 100 बनाया। तब तक टेस्ट तो शुरू हुए नहीं थे और इंग्लैंड इलेवन इलेवन के लिए जो 14 मैच खेले उनमें कभी 50 के स्कोर को पार नहीं किया।
वे एक हिटर के तौर पर तो मशहूर थे ही पर एक बड़ा अजीब परिचय ये है कि लोग उनके बारे में कविताएं लिखते थे। 27 फरवरी 1843 को सिर्फ 39 साल की उम्र में मार्सडेन का देहांत हो गया। उनके साथ जुड़ी एक और स्टोरी ये है कि 1828 में इंग्लैंड के फुलर पिल्च नाम के एक व्यक्ति को, 1 विकेट मुकाबले में 50 पौंड की शर्त पर चुनौती दी लेकिन हार गए। 1833 में, उन्हीं से, फिर से शर्त लगाई और इस बार भी हारे।
आज भी क्रिकेट में, एक पारी में 100 एक बड़ा रिकॉर्ड है और अगर 200 बना दिए फिर तो कहना ही क्या? अपने फर्स्ट क्लास क्रिकेट डेब्यू पर ये रिकॉर्ड तो और भी बड़ी बात है। भारतीय क्रिकेट में इस रिकॉर्ड के लिए गुंडप्पा विश्वनाथ बड़े मशहूर हैं। उन्होंने 1967-68 रणजी ट्रॉफी में आंध्र के विरुद्ध मैसूर के लिए डेब्यू पर 230 रन बनाए। फर्स्ट क्लास क्रिकेट डेब्यू पर सबसे बड़े नॉट आउट स्कोर का रिकॉर्ड भी एक भारतीय बल्लेबाज का है- 267* जो मध्य प्रदेश के अजय रोहेरा (Ajay Rohera) ने दिसंबर 2018 में हैदराबाद के विरुद्ध बनाए थे।
अब फिर से वापस लौटते हैं टॉम मार्सडेन पर- ऑलराउंडर थे, खब्बू बल्लेबाज और तेज़ (अंडरआर्म) या धीमे ऑर्थोडॉक्स (राउंडआर्म) गेंदबाज। जिस शेफ़ील्ड क्रिकेट क्लब की यहां बात कर रहे हैं उस समय ये एक काउंटी क्लब था, जो बाद में मशहूर यॉर्कशायर काउंटी क्रिकेट क्लब में बदला और वे यॉर्कशायर के शुरू के सालों के सबसे मशहूर क्रिकेटरों में से एक थे। उस शेफ़ील्ड एंड लेस्टर बनाम नॉटिंघम मैच की बात करें तो मार्सडेन 41/3 के स्कोर पर बल्लेबाजी के लिए आए और टीम के कुल 379 में से 227 रन बनाकर अपनी टीम को पहली पारी में 278 रन की बड़ी बढ़त दिलाई। इसमें मार्सडेन ने थॉमस गैंबल (61) के साथ पांचवें विकेट के लिए 205 रन जोड़े और गैंबल के आउट होने के बाद भी लगातार स्कोर बढ़ाते रहे। उनके 227 तब किसी भी बल्लेबाज का तीसरा सबसे बड़ा स्कोर थे और सबसे ख़ास बात ये कि नॉटिंघम की गेंदबाजी के स्तर को देखते हुए, उन्हें बड़ी तारीफ़ मिली।
तीन दिन के इस मैच को 30 हजार से ज्यादा दर्शकों ने देखा। इस मैच में वे गेंदबाज के तौर पर भी चमके। अपनी अंडरआर्म गेंदबाजी से 4/51 और 4/25 के आंकड़े दर्ज किए तथा दोनों पारी में नॉटिंघम को 101 और 75 रन पर आउट कर दिया। नॉटिंघम की टीम मैच एक पारी और 203 रन के बड़े अंतर से हारी और ये साफ़ था कि अकेले 21 साल के टॉम मार्सडेन इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार थे- 8 विकेट लिए और 8 घंटे से ज्यादा की बल्लेबाजी में 227 रन। इस पर ऐसी धूम मची कि उन पर कविता लिखी जाने लगीं। बहरहाल वे कभी अपने अविश्वसनीय 227 रन वाले प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाए।
कुछ साल पहले ही, इंग्लैंड के मशहूर क्रिकेट इतिहासकार पीटर वाईन-थॉमस (Peter Wynne-Thomas) ने नॉटिंघम के इस मैच को उनका पहला फर्स्ट क्लास मैच साबित किया और इसी मैच से नॉट्स के फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने वालों को प्लेयर नंबर दिए। इस तरह डर्नॉल में खेलने वाली नॉटिंघम टीम में, इस काउंटी क्लब के नंबर 1 से 11 तक खिलाड़ी खेले।
अब तक माइक पॉवेल, ह्यूबर्ट डोगार्ट और टॉम मार्सडेन ही इंग्लैंड के ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने अपने फर्स्ट क्लास डेब्यू की पहली पारी में 200 बनाया है। कई आधुनिक क्रिकेट इतिहासकार मार्सडेन के 1826 के रिकॉर्ड पर, दूसरी टीम की गेंदबाजी और ख़ास तौर पर अंडर आर्म गेंदबाजी को लेकर सवाल उठाते हैं पर इस तरह की चर्चा तो उस दौर के हर प्रदर्शन के साथ जुड़ी है।
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- चरनपाल सिंह सोबती