विश्वास कीजिए- बंगाल के एमएलए उनके रणजी ट्रॉफी मैच खेल रहे हैं

Updated: Mon, Feb 28 2022 15:10 IST
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रणजी ट्रॉफी का नया सीजन शुरू हो गया। पहले ही राउंड में ढेरों नए रिकॉर्ड बने। इसमें एक मैच में बंगाल की टीम कटक में बड़ौदा के विरुद्ध रणजी ट्रॉफी एलीट ग्रुप बी मैच में पहली पारी में शर्मनाक 88 रन बनाकर आउट हो गई। अभी इस घटिया बल्लेबाज़ी की चर्चा खत्म भी नहीं हुई थी कि बंगाल ने दूसरी पारी में 300+ का स्कोर बनाकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। एक और बात है- जिसके लिए इस मैच को हमेशा याद किया जाएगा। इस मैच में बंगाल विधानसभा के एमएलए और मंत्री मनोज तिवारी भी खेले। भारत में हाल फिलहाल कोई ऐसी और मिसाल सामने नहीं है कि मंत्री ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेली।

ये एमएलए बनने के बाद मनोज तिवारी का पहला फर्स्ट क्लास मैच था। वे आगे भी खेलेंगे। ये ठीक है कि इस मैच में या उससे अगले हैदराबाद के विरुद्ध मैच में कुछ ख़ास नहीं किया (क्रमशः 0 और 37 तथा 2 और 10) पर टीम में वे अपनी क्रिकेट टेलेंट की वजह से हैं न कि एमएलए के रुतबे की वजह से। रिकॉर्ड इसका सबूत है- 9014 रन और 32 विकेट फर्स्ट क्लास क्रिकेट में।

नवजोत सिद्धू और चेतन चौहान जैसे कई टेस्ट क्रिकेटर राजनीति में गए पर कोई एमपी बनने के बाद नहीं खेला। मौजूदा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भी 2008 में पहली बार एमपी बनने से पहले ही खेल चुके थे अपना एकमात्र फर्स्ट क्लास मैच। इस नजरिए से मनोज तिवारी की मिसाल इन सबसे अलग है। शायद यह पहली बार हुआ है कि किसी मौजूदा मंत्री ने, भारत में, फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच में अपने स्टेट का प्रतिनिधित्व किया। वे बंगाल सरकार में युवा मामलों और खेल राज्य मंत्री हैं और तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर 2021 का चुनाव जीते थे- शिबपुर से।

राजनीति में आने के फैसले के साथ ही उन्होंने कह दिया था कि खेलना जारी रखेंगे।

अगर क्रिकेट की दुनिया में देखें तो क्या ऐसी ही और भी कोई मिसाल है? घरेलू क्रिकेट खेलना तो छोड़िए, पार्लियामेंट पहुंचे क्रिकेटर इंटरनेशनल क्रिकेट भी खेले हैं। श्रीलंका के सनथ जयसूर्या फरवरी 2010 में अपने शहर मतारा से संसद के लिए जीते और 2011 में इंग्लैंड के विरुद्ध ओवल में एक वन डे इंटरनेशनल खेले। दिसंबर 2018 में बांग्लादेश के मशरफे मुर्तजा ने अवामी लीग टिकट पर नरेल-2 सीट जीती और 2019 में युवा और खेल मंत्रालय पर संसदीय स्थायी कमेटी में आ गए। वे एमपी बनने के बाद भी खेलते रहे और आख़िरी वन डे 6 मार्च 2020 को खेला।

वैसे इस संदर्भ में एक किस्सा तो बड़ा अनोखा है और उसका जिक्र जरूरी है। क्या आप विश्वास करेंगे कि महात्मा गांधी का भी नाम रहा इंग्लैंड क्रिकेट टीम में?

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1933 में भारत में इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरुआत करने के लिए एमसीसी टीम आई थी। उस समय के भारत के स्टार बल्लेबाज विजय मर्चेंट की बहन, लक्ष्मी मर्चेंट क्रिकेट की बड़ी शौकीन थीं। मेहमान टीम के सभी 16 अंग्रेजी क्रिकेटरों के ऑटोग्राफ लिए- इनमें डगलस जार्डिन और हेडली वेरिटी जैसे मशहूर नाम भी थे। संयोग से जब वे बाद में महात्मा गांधी का ऑटोग्राफ लेने गईं तो वही ऑटोग्राफ बुक ले गईं। ऑटोग्राफ देने से पहले महात्मा गांधी ने ऑटोग्राफ बुक के पेज पलटना शुरू कर दिया तो उनके सामने वह पेज आ गया जिस पर एमसीसी टीम के 16 खिलाड़ियों के ऑटोग्राफ थे। गांधी जी ने खुद को एमसीसी टीम का 17 वां खिलाड़ी बना दिया- 17 नंबर डाला और उसके सामने ऑटोग्राफ दे दिए।

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