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क्रिकेट इतिहास का वो कैच जिसे छोड़ने की कीमत थी 483 रन, 2 खिलाड़ियों का करियर भी हुआ खत्म

क्रिकेट में एक पुरानी कहावत है- कैच लपको, मैच जीतो। यह कहावत आज भी सही है। पिछले कुछ दिन की दो सबसे अच्छी मिसाल : करारा, ऑस्ट्रेलिया-वेस्टइंडीज, पहला टी-20 इंटरनेशनल 2022 : ऑस्ट्रेलिया ने वेस्टइंडीज को तीन विकेट से...

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क्रिकेट इतिहास का वो कैच जिसे छोड़ने की कीमत थी 483 रन, 2 खिलाड़ियों का करियर भी हुआ खत्म
क्रिकेट इतिहास का वो कैच जिसे छोड़ने की कीमत थी 483 रन, 2 खिलाड़ियों का करियर भी हुआ खत्म (Image Source: फॉक्स स्पोर्ट्स)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Oct 26, 2022 • 12:05 PM

क्रिकेट में एक पुरानी कहावत है- कैच लपको, मैच जीतो। यह कहावत आज भी सही है। पिछले कुछ दिन की दो सबसे अच्छी मिसाल : करारा, ऑस्ट्रेलिया-वेस्टइंडीज, पहला टी-20 इंटरनेशनल 2022 : ऑस्ट्रेलिया ने वेस्टइंडीज को तीन विकेट से हराया- एक गेंद बची थी। ऑस्ट्रेलिया को शेल्डन कॉटरेल के आखिरी ओवर में 11 रन चाहिए थे। ऐसे नाजुक मुकाम पर वेड (39*) का कैच रेमन रीफर ने डीप में गिरा दिया। 

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
October 26, 2022 • 12:05 PM

भारत-पाकिस्तान, दुबई, एशिया कप 2022 : सुपर 4 राउंड के इस मैच में बाबर आजम की टीम की 5 विकेट से जीत। अर्शदीप सिंह ने एक आसान कैच गिराया जो मैच का रुख पूरी तरह से बदल सकता था। रवि बिश्नोई के आख़िरी ओवर में आसिफ अली को लाइफलाइन और आसिफ ने 8 गेंद में 16* रन बनाकर मैच पाकिस्तान की झोली में डाल दिया। इस हार ने भारत को एशिया कप से बाहर करने में बड़ी ख़ास भूमिका निभाई।
 
ये कैच तो हमेशा याद रहेंगे पर जहां तक कैच छोड़ने की बात है- 1999 वर्ल्ड कप में हर्शल गिब्स, 1902 एशेज के चौथे टेस्ट में फ्रेड टेट और माइक गैटिंग का 1993 में भारत के विरुद्ध दूसरे टेस्ट में कैच छोड़ना तो इतिहास हैं। आज तक का सबसे महंगा कैच छोड़ना कौन सा है? इस सवाल का कोई तय जवाब नहीं हो सकता पर अगर शुद्ध रन की गिनती के संदर्भ में बात करें तो जवाब होगा ब्रायन लारा का कैच जो क्रिस स्कॉट ने छोड़ा 3 जून 1994 को एजबेस्टन में। उस वक्त लारा 18 रन पर थे और आखिर में 501* रन बना दिए- आज तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट में ये सबसे बड़ा स्कोर है।  

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क्रिस स्कॉट के नाम के साथ ये महंगा कैच ऐसा जुड़ा कि आज भी कोई जर्नलिस्ट उन्हें इंटरव्यू के लिए फ़ोन करे तो वे छूटते ही कहते है- लारा के कैच के बारे में पूछना है? जून 1994 को एजबेस्टन में मैच था डरहम और वरिकशायर के बीच। क्रिस स्कॉट विकेटकीपर थे डरहम के। 1992 में डरहम की टीम में आए थे और बड़े अच्छे विकेटकीपर थे। इस छोड़े कैच ने ऐसा मनोबल गिराया कि स्कॉट ने 1996 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलना छोड़ दिया। जब भी कहीं, छोड़ा कैच महंगा साबित होने लगता है- टीवी या रेडियो पर उनका जिक्र आ जाता है।  

काउंटी चैम्पियनशिप में डरहम तब नई टीम थी- उनका सिर्फ तीसरा सीजन। पिछले दो सीजन में पॉइंट्स में सबसे नीचे रहे थे पर उस सीजन में अच्छा खेल रहे थे। अब मैच था वरिकशायर से और ये मालूम था कि उस टीम में वह लारा भी हैं जो तब तक पिछली 7 पारियों में 6 सेंचुरी बना चुके थे। स्कॉट की आदत थी कि जब कोई बड़ा खिलाड़ी खेल रहा हो तो वे उन पर थोड़ा ज्यादा ध्यान लगाते थे- लारा तो इस लिस्ट में टॉप पर थे।  

मैच शुरू हुआ 2 जून 1994 को। डरहम ने टॉस जीता, बल्लेबाजी की, 556-8 का स्कोर बनाया और पारी समाप्त घोषित कर दी। दूसरे दिन दोपहर 3 बजे के आसपास स्कॉट ने ग्लव्स पहने। उन्हें मालूम था कि एजबेस्टन में गेंद, बल्लेबाज को पार करने के बाद भी मूव करती है। उस दिन तेज  हवा थी और पता नहीं क्यों, स्कॉट शुरू से गेंद को बहुत अच्छी तरह नहीं पकड़ पा रहे थे। इसके बावजूद, दूसरे ओवर में, वेस्टइंडीज टीम से आए पेसर एंडरसन कमिंस की गेंद पर डोमिनिक ऑस्लर को आउट करने के लिए एक अच्छा कैच लपका।

लारा तीसरे नंबर पर बैटिंग के लिए आए। कमिंस उन्हें पहली ही गेंद पर कैच एंड बोल्ड करने के बड़े करीब थे। जब लारा 12 पर थे तो कमिंस ने उन्हें बोल्ड कर दिया- ये नो बॉल थी। दूसरे सिरे से साइमन ब्राउन गेंदबाजी कर रहे थे- खब्बू मीडियम पेसर जिसने पिछले दो सीजन में 93 विकेट लिए थे और उस समर में 66 और विकेट लिए। साइमन को उस समय इंग्लैंड में सबसे बेहतर गेंदबाज में गिनते थे।  

चाय से पहले के आख़िरी कुछ मिनटों में ब्राउन की एक गेंद- लारा अपने बैक फुट पर गए, हार्ड ड्राइव खेला और विकेटकीपर की तरफ कैच उछल गया। स्कॉट के शब्दों में- 'ये एक ऐसा कैच था जिसे मैंने पहले एक लाख बार लिया था- एक बहुत ही सीधा कैच।' तब भी कैच छूट गया। स्कॉट को आज तक समझ नहीं आया कि कैसे? मैच देख रहे कुछ जानकार ने कहा कि कैच लपक लिया था पर उसे पूरा करने से पहले ही स्कॉट ने कैच का जश्न मनाने के चक्कर में गेंद को ऊपर उछालने की कोशिश की और उन्हें पता ही नहीं चला कि क्या हुआ? स्कॉट कहते है- 'मुझे हैरानी है कि क्या मैं…फ्रीज हो गया था? अचानक मैं बस फ्रीज हो गया और तभी गेंद फर्श पर थी।'

अगर आपने कभी एक आसान कैच छोड़ा है, तो आपको अंदाजा हो गया होगा कि तब स्कॉट को कैसा लगा होगा? उन्हें लगा- शरीर से सारा खून निकल गया है। कुछ चीजें काफी अपमानजनक होती हैं। स्कॉट के लिए, क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं बल्कि पेशा था। ये कैच छोड़ना सिर्फ शर्मनाक नहीं, उनके पेशेवर करियर पर कलंक था। स्कॉट को फ़ौरन समझ आ गया कि अब लारा 100 बनाएंगे। स्कॉट के बाईं ओर दो स्लिप, वेन लार्किंस और फिल बेनब्रिज, चुप खड़े थे। चाय के ब्रेक के दौरान, डरहम के क्रिकेट डायरेक्टर ज्योफ कुक ने उनसे कहा- आगे की क्रिकेट पर ध्यान लगाओ। जो लारा तब तक, गेंद को बहुत अच्छी तरह हिट नहीं कर पा रहे थे- उसके बाद तो ऐसा खेले कि कमाल ही कर दिया। कोई उन्हें आउट नहीं कर पाया। शाम को लारा 111* पर थे।  

अगले दिन बरसात के कारण खेल नहीं हुआ। उससे अगला दिन रविवार था और तब रविवार का दिन वनडे मैच के लिए होता था (भले ही मैच के बीच में हो)- इसलिए सोमवार को लारा ने आगे खेलना शुरू किया और दिन में 390 रन बना दिए। जैसे ही लारा के 500 पूरे हुए वरिकशायर ने 810-4 पर पारी समाप्त घोषित कर दी।

मैच ड्रा हो गया। नतीजे के नजरिए से देखें तो स्कॉट की इस गलती के बावजूद टीम बच गई- बरसात ने उन्हें बचा लिया। इसलिए टीम ने इस गलती को कोई बहुत ज्यादा भाव नहीं दिया पर खुद स्कॉट को इस गलती ने बड़ा दर्द दिया। अपने फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर में 300 आउट किए (283 कैच+13 स्टंप) लेकिन ये कैच वे कभी भूले नहीं। यहां तक कि वह ब्राउन के करियर को ख़राब करने के लिए भी खुद को दोषी मानते हैं। अगर तब ब्राउन को लारा का विकेट मिल गया होता तो कौन जानता है वे जल्दी ही टेस्ट टीम में शामिल हो जाते?  

उस मैच के बाद, क्रिस स्कॉट ने सरे के विरुद्ध अपना पहला फर्स्ट क्लास 100 बनाया। चार हफ्ते बाद यॉर्कशायर के विरुद्ध एक और 100 बनाया। डरहम ने उस सीज़न में चार मैच जीते और अपने इतिहास में पहली बार चैंपियनशिप में आख़िरी नंबर पर नहीं रहे।

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ब्राउन को आखिरकार 1996 में इंग्लैंड के लिए खेलने का मौका मिला। सिर्फ एक टेस्ट खेले। शायद देरी से मौका मिलने से वे भी, उतने बेहतर गेंदबाज नहीं रहे थे। इस एक कैच के गिरने से दो करियर खराब हुए। स्कॉट बाद में, 16 साल कैम्ब्रिज एमसीसीयू में कोच रहे और भविष्य के कई टेस्ट क्रिकेटरों को कोच किया। स्कॉट ही, वहां शुरू हुई, उस स्कीम के लिए जिम्मेदार हैं जिसमें युवा खिलाड़ी, क्रिकेट छोड़े बिना यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई जारी रख सकता है।  
 

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