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Cricket History - भारत का इंग्लैंड दौरा 1952

साल 1952 में मद्रास में पहली बार टेस्ट जीत हासिल करने के लगभग 2 महीनें बाद भारतीय टीम ने विजय हजारे की कप्तानी में इंग्लैंड का दौरा किया। इंग्लैंड की सरजमीं पर तब 29 टेस्ट मैच खेले गए जिसमें भारतीय

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India Tour Of England 1952
India Tour Of England 1952 (Image Source - Google)
Abhishek  Mukherjee
By Abhishek Mukherjee
Feb 12, 2021 • 04:03 PM

साल 1952 में मद्रास में पहली बार टेस्ट जीत हासिल करने के लगभग 2 महीनें बाद भारतीय टीम ने विजय हजारे की कप्तानी में इंग्लैंड का दौरा किया।

Abhishek  Mukherjee
By Abhishek Mukherjee
February 12, 2021 • 04:03 PM

इंग्लैंड की सरजमीं पर तब 29 टेस्ट मैच खेले गए जिसमें भारतीय टीम का प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा। इस दौरान मेहमानों ने 4 मैचों में जीत हासिल की और 5 में उन्हें हार मिली। हालांकि 4 मैचों की आधिकारिक टेस्ट सीरीज में भारत को 3-0 से हार मिली।

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1952 के इस इंग्लैंड दौरे पर भारत के कुछ दिग्गज मौजूद नहीं थे जिसमें लाला अमरनाथ और मुश्ताक अली का नाम शामिल था। इसके अलावा बेहरतीन बल्लेबाज विजय मर्चेंट ने हाल ही में संन्यास लिया था। भारतीय बल्लेबाजों को 21 साल के फ्रेड ट्रूमेन की घातक गेंदबाजी से काफी परेशान हुई और उन्होंने इस 4 मौचों में कुल 29 विकेट हासिल करते हुए भारतीय बल्लेबाजी को तहस-नहस कर दिया। इसके अलावा अनुभवी एलेक बेडसर ने कुल 13.95 की औसत से कुल 20 विकेट अपने नाम किए।

इस दौरे पर मुहर लगने से पहले स्टार भारतीय ऑलराउंडर वीनू मांकड ने लंकाशायर लीग में हसलिंगडेन के साथ करार किया था। बाद में उन्होंने तब के भारतीय चीफ सेलेक्टर और भारत के पहले टेस्ट कप्तान सीके नायडू से यह अर्जी की थी कि उन्हें भी इस इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टीम में जगह मिले लेकिन ऐसा हो नहीं पाया और नायडू ने इसे खारिज कर दिया। बाद मांकड ने हसलिंगडेन की टीम के साथ जुड़ गए।

हेडिंग्ले में खेले गए सीरीज के पहले टेस्ट मैच में भारत ने अच्छी शुरूआत की और पहली पारी में 293 रन पर सिमटने के बाद इंग्लैंड की टीम को 334 रनों पर ढ़ेर कर दिया। दूसरी पारी भारत के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थी। टीम के 4 बल्लेबाज शून्य के स्कोर पर ही पवेलियन लौट गए। जब टीम को यह पता चला तो उन्होंने मैदान पर यॉर्कशायर पोस्ट को यह जांच करने के लिए बुलाया कि टीम का स्कोर 0/4 (जीरो रन पर 4 विकेट है) है या 4/0 (4 रन पर जीरो विकेट) है।

इस मैच में हार के बाद भारतीय क्रिकेच मैनेजमेंट ने हसलिंगडेन में एक अर्जी भेजी और उन्होंने बचे हुए 3 मैचों के लिए वीनू मांकड को बुलाया। लॉर्डस के मैदान पर खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में मांकड ने पहले बल्लेबाजी में कमाल करते हुए 72 रन बनाए और बाद में उन्होंने 73 ओवर गेंदबाजी की जिसमें वो 196 रन देकर 5 विकेट चटकाने में कामयाब रहे। 

दूसरी पारी में वीनू मांकड ने एक साहसिक पारी खेली और ओपनिंग करते हुए बेजोड़ 378 रन बनाए। इसके अलावा जब वो गेंदबाजी करने आए तब उऩ्हें कोई विकेट तो नहीं मिला लेकिन 24 ओवर में उन्होंने केवल 35 रन दिए और इस दौरान कुल 12 मेडेन ओवर डालने में कामयाब रहें। हालांकि मांकड की बेहतरीन गेंदबाजी और बल्लेबाजी के अलावा इस मैच में भारत के लिए कुछ भी यादगार नहीं रहा और इस मुकाबले को अंग्रेजों ने 8 विकेट से अपने नाम किया।

ओल्ड ट्रेफोर्ड में खेला गया सीरीज का तीसरा टेस्ट मैच भारत के लिहाज से और भी खराब रहा। इस मैच में इंग्लैंड ने तीसरे दिन की सुबह 9 विकेट के नुकसान पर 347 रन बनाकर पारी घोषित की। लेकिन इसके बाद जो हुआ वो भारतीय क्रिकट दर्शक भूलना चाहेंगे। तीसरे दिन ही विजय हजारे की कप्तानी वाली टीम 2 बार ऑलआउट हो गई। भारत की पहली पारी 58 रन पर तो वहीं दूसरी 82 रन पर सिमट गई। टीम के 20 विकेट 58.1 ओवरों में ही गिर गए। भारत को इस मैच में पारी और 207 रनों से जीत मिली। चौथे टेस्ट मैच में भारत की पहली पारी 98 रनों पर समाप्त हो गई। इसके बाद मैच में बारिश ने खलल डाली और यह मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ।


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