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टीम इंडिया के 2 महान क्रिकेटरों के बीच वह 'झगड़ा' जिसमें BCCI प्रेसिडेंट ने दोनों को अपने घर बुलाया सुलह कराने के लिए  

Sunil Gavaskar and Kapil Dev Fight: भारतीय क्रिकेट के आधुनिक युग में सबसे बड़े नाम में से दो कपिल देव और सुनील गावस्कर के हैं। अलग-अलग तरह के क्रिकेटर- सनी शुद्ध बल्लेबाज जबकि कैप्स तेज गेंदबाज थे पर आलराउंडर बन

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टीम इंडिया के 2 महान क्रिकेटरों के बीच वह 'झगड़ा' जिसमें BCCI प्रेसिडेंट ने दोनों को अपने घर बुलाया
टीम इंडिया के 2 महान क्रिकेटरों के बीच वह 'झगड़ा' जिसमें BCCI प्रेसिडेंट ने दोनों को अपने घर बुलाया (Image Source: IANS)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
May 14, 2025 • 02:44 PM

Sunil Gavaskar and Kapil Dev Fight: भारतीय क्रिकेट के आधुनिक युग में सबसे बड़े नाम में से दो कपिल देव और सुनील गावस्कर के हैं। अलग-अलग तरह के क्रिकेटर- सनी शुद्ध बल्लेबाज जबकि कैप्स तेज गेंदबाज थे पर आलराउंडर बन गए। क्रिकेट की दुनिया में खिलाड़ियों के बीच आपसी झगड़ों की कोई भी लिस्ट देख लीजिए- उसमें गावस्कर-कपिल झगड़े का कहीं जिक्र नहीं मिलेगा क्योंकि इन दोनों के बीच लड़ाई में कोई गाली-गलौज नहीं हुई, धक्का-मुक्की या मारपीट भी नहीं हुई और इसीलिए किसी पर कोई पेनल्टी नहीं लगी पर ये झगड़ा सालों चला।

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
May 14, 2025 • 02:44 PM

आज सुनील गावस्कर के लिए कपिल देव 'क्रिकेट का रत्न' हैं जबकि कपिल की नजरों में, सुनील गावस्कर भारत का कप्तान बनने के सबसे सही दावेदार थे और जब तक खेलते रहे, सिर्फ उन्हें ही भारत का कप्तान होना चाहिए था। इसलिए ये लड़ाई न सिर्फ ऐसी 'खामोश लड़ाई' थी जो आपसी मुकाबले के पर्दे के पीछे चलती रही, गैर-सोशल मीडिया के उस युग में भी इन दो दिग्गजों के बीच दरार की खबरें और अफवाह खूब चर्चा में रहीं। सीधे चलते हैं उस टेस्ट पर जहां से ये किस्सा शुरू हुआ :

मैच कौन सा था: सीरीज का दूसरा टेस्ट, दिल्ली, 12-17 दिसंबर, 1984, इंग्लैंड का भारत टूर 

भारत 307 (कपिल देव 60, रिचर्ड एलिसन 4-66) और 235 (सुनील गावस्कर 65, मोहिंदर अमरनाथ 64, फिल एडमंड्स 4-60, पैट पोकॉक 4-93)

इंग्लैंड 418 (टिम रॉबिन्सन 160, लक्ष्मण शिवरामकृष्णन 6-96) और 127/2 (एलन लैम्ब 37*) 

इंग्लैंड 8 विकेट से जीत

हुआ क्या था : इंग्लैंड सीरीज का पहला टेस्ट हार चुका था। दूसरे टेस्ट मैच में आख़िरी दिन लंच के बाद, सभी को हैरान करते हुए इंग्लैंड ने भारत के आखिरी 6 विकेट 28 रन पर लिए और इसी से पासा पलट गया। इंग्लैंड को सीरीज बराबर करने के लिए बड़ा आसान लक्ष्य मिला और 59 मिनट और 20 ओवर में सिर्फ 125 रन ही बनाने  थे। इस तरह धीमी और टर्निंग पिच पर जो टेस्ट भारत की पकड़ में था और ड्रॉ की तरफ बढ़ रहा था, मिडिल आर्डर की लापरवाह और गैर जिम्मेदाराना बल्लेबाजी से एकदम इंग्लैंड के कंट्रोल में आ गया। जरूरत सिर्फ इतनी थी कि दूसरी पारी में जिम्मेदारी से बैटिंग करें और क्रीज पर टिके रहें पर लापरवाई हुई और इस पर काफी हो-हल्ला मचा। दो बल्लेबाज ख़ास तौर पर निशाने पर थे। एक बड़ा विकेट संदीप पाटिल का था और उनके आउट होने से स्कोर 207-5 हो गया। स्पिनरों ने उन्हें 40 ओवर तक खुल कर नहीं खेलने दिया था जिससे वे दबाव में आ गए और उसी छटपटाहट में एडमंड्स की एक गेंद को पुल करने की कोशिश में मिड-विकेट पर कैच दे दिया। ऐसे में अनुभवी कपिल देव (पहली पारी में 97 गेंद पर 60 रन बनाए थे) को विकेट पर टिकना चाहिए था क्योंकि अब भारत के लिए टेस्ट बचाने की हर उम्मीद उन पर टिकी थी लेकिन एक 6 लगाने के बाद, मिसहिट पर उन्होंने भी अपना विकेट गंवा दिया। 

भारत के आखिरी 4 विकेट सिर्फ 21 रन में गिरे और इंग्लैंड को आसान जीत का मौका मिल गया। जिस इंग्लैंड टीम ने अपने पिछले 13 टेस्ट में एक भी जीत दर्ज नहीं की थी और उस पर टूर के शुरू में भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या, भारत भर में हुए दंगों और सीरीज की पूर्व संध्या पर ब्रिटिश डिप्टी हाई कमिश्नर की हत्या के कारण मनोवैज्ञानिक दबाव भी बना हुआ था, उन्हें यूं लगा कि सीरीज बराबर करने के लिए भारत ने उन्हें जीत थाली में परोस कर दे दी। 

इसके बाद क्या हुआ: इसके बाद भारतीय कैंप में टीम के प्रदर्शन का पोस्टमार्टम तो होना ही था और साथ में 'बलि का बकरा' ढूंढना था। संदीप पाटिल (टेस्ट में 30 और 41 रन बनाने के बावजूद) और कपिल देव (पहले दो टेस्ट में 42, 60 और 7 रन बनाने के बावजूद) पर सभी ने उंगली उठाई और गैर-जिम्मेदाराना शॉट खेलने का आरोप लगाया जिससे टीम एकदम आउट हुई। असली किस्सा यहीं से शुरू होता है। संदीप पाटिल और कपिल देव दोनों को अगले टेस्ट के लिए बाहर कर दिया। सबसे बड़ा धमाका कोलकाता के अगले टेस्ट के लिए कपिल देव को बाहर करना था। टेस्ट की टीम से निकलना, एक तरह से पिछले टेस्ट में लापरवाही से शॉट खेलने की सजा ही था। इस पर बड़ा शोर हुआ और आम तौर पर यही माना गया कि कपिल को टेस्ट टीम से बाहर करने का फैसला गावस्कर का था और इसी से आम तौर पर सोच ये बनी कि दोनों के बीच अनबन है और रिश्ते खराब हैं।

किसे क्या सजा मिली : चूंकि किसी पर कोई नकद जुर्माना न लगा, इसलिए ऑफिशियल तौर पर कोई सजा न मिली पर इन दोनों क्रिकेटर के आपसी मतभेद  ठीक होने में कई साल लग गए। ये एकमात्र ऐसा टेस्ट था जो कपिल देव अपने पूरे टेस्ट करियर में न खेले और इसी वजह से वे लगातार सबसे ज्यादा टेस्ट खेलने का नया रिकार्ड बनाने से चूक गए। इस कोलकाता टेस्ट से पहले उन्होंने लगातार 66 टेस्ट खेले थे और इस कोलकाता टेस्ट के बाद लगातार 65 टेस्ट मैच खेले। 

एक टेस्ट न खेलने से दोनों के बीच खामोश दरार तो पड़ी ही, सबसे बुरी बात ये हुई कि इससे गावस्कर से जुड़े पुराने विवादास्पद किस्सों का पिटारा भी खुल गया और मीडिया में कई दिलचस्प स्टोरी छपने लगीं। गावस्कर और कपिल, दोनों उस समय स्टार क्रिकेटर थे और जहां तक भारत की कप्तानी का सवाल है, वे एक तरह से म्यूजिकल चेयर खेल रहे थे। कभी-कभी तो लगा भी कि फिजूल में कप्तान बदल रहे हैं पर सबसे बड़ा नुकसान ये था कि इन गलत बदलाव से भारत के दो बड़े  क्रिकेटरों के बीच संबंध में खटास पैदा होती रही। यहां तक कि कपिल पर यह भी आरोप लगा कि उन्होंने 1983 में मद्रास में तब पारी समाप्त घोषित कर दी जब गावस्कर 236* पर थे और ऐसा लग रहा था कि किसी भी भारतीय बल्लेबाज के पहले 300 का रिकॉर्ड बना देंगे। 

हालांकि कपिल और सुनील गावस्कर कभी अच्छे दोस्त नहीं रहे, लेकिन उस दिल्ली टेस्ट की वजह से दोनों के बीच टकराव सुर्खियों में आ गया। हर किसी की सहानुभूति कपिल के साथ थी। ईडन गार्डन्स में टेस्ट के दौरान दर्शकों ने भी कपिल को ड्रॉप करने का विरोध किया और 'कपिल नहीं तो टेस्ट नहीं' के नारे लगाए। यहां तक कि गावस्कर पर सड़ी सब्जियां और फल भी फेंके। गावस्कर इस व्यवहार से इतने नाराज हुए कि आगे कभी कोलकाता में न खेलने की कसम खा ली और वे वास्तव में वहां उसके बाद कभी नहीं खेले। 

सालों तक चंदू बोर्डे की सेलेक्शन कमेटी के कपिल देव को टेस्ट टीम से बाहर किए जाने के फैसले की चर्चा होती रही और तरह-तरह की बातें सुनने को मिलीं। आखिरकार मार्च 2021 में पहली बार, खुद सुनील गावस्कर ने इस बारे में बात की और दावा किया कि कपिल को टीम बाहर करने में उनका कोई रोल न था और ये पूरी तरह से सेलेक्शन कमेटी का फैसला था। वे बोले- 'मैं टीम इंडिया के कप्तान के तौर पर सेलेक्शन कमेटी का हिस्सा जरूर था लेकिन वोट अधिकार के बिना। मैं इतना मूर्ख नहीं कि अपने अकेले मैच विनर खिलाड़ी को बाहर कर दूं।' गावस्कर ने तो ये भी कहा कि भविष्य में वे उस सेलेक्टर का नाम भी बता देंगे जो न सिर्फ कपिल को टीम से बाहर करना चाहते थे, उनकी मैच फीस पर भी रोक लगाना चाहते थे। 

अब कपिल देव भी अपनी सोच बदल चुके हैं और गावस्कर के साथ किसी भी तरह के मतभेद से इनकार करते हैं। सोच में इस बदलाव के बावजूद कपिल को टीम से बाहर करने का ये फैसला भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े रहस्य में से एक बना हुआ है। तब तो, दोनों के बीच आपसी विरोध से, हालात ये थे कि बीसीसीआई को भी लगा कि इन दोनों क्रिकेटरों के बीच आपसी खराब रिश्ते टीम के अंदर माहौल खराब कर रहे हैं। दोनों के बीच सुलह कराने के लिए बीसीसीआई चीफ एनकेपी साल्वे ने दोनों को अपने घर  बुलाया। इसमें कोई शक नहीं कि उनकी गलतफहमियों को बढ़ाने में मीडिया का भी रोल रहा जो हमेशा सनसनीखेज स्टोरी की तलाश में था, पर साथ में इन दोनों के लिए तारीफ़ की बात ये कि दोनों एक-दूसरे की कप्तानी में खेले, अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन किया और समय के साथ रिश्ता दोस्ताना बनाया। 

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- चरनपाल सिंह सोबती
 

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