अपनी सही पहचान की तलाश में, बदलते नाम का टूर्नामेंट है ICC Champions Trophy
Champions Trophy History: आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 की चर्चा है इस समय चारों ओर। हर रिकॉर्ड में लिख रहे हैं कि ये चैंपियंस ट्रॉफी का 9वां आयोजन है। इस एक स्टेटमेंट के साथ जुड़ी सबसे मजेदार बात ये है कि
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Champions Trophy History: आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 की चर्चा है इस समय चारों ओर। हर रिकॉर्ड में लिख रहे हैं कि ये चैंपियंस ट्रॉफी का 9वां आयोजन है। इस एक स्टेटमेंट के साथ जुड़ी सबसे मजेदार बात ये है कि पिछले 8 में से हर आयोजन का नाम चैंपियंस ट्रॉफी नहीं था।
सबसे पहले साल यानि कि 1998 में इसे आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी (ICC KnockOut Trophy) के नाम से खेले थे। तब इस क्रिकेट टूर्नामेंट को वनडे फॉर्मेट में खेलना शुरू करने के फैसले के पीछे सोच थी कि ट्रॉफी को गैर-टेस्ट खेलने वाले देशों में क्रिकेट विकास के लिए पैसा जुटाने के लिए खेलेंगे। इसीलिए इसे शुरू में आईसीसी एसोसिएट सदस्य देशों में ही खेले ताकि वहां क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ाई जा सके। तब इस टूर्नामेंट की तुलना फुटबॉल में फीफा कन्फेडरेशन कप से की थी। 2002 के टूर्नामेंट के बाद से, अनौपचारिक रोटेशन पॉलिसी के तहत मेजबान बदलते रहे।
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तब ये मुद्दा बड़ी चर्चा में रहा था कि आईसीसी को, वर्ल्ड कप के होते हुए, वनडे फॉर्मेट में, वर्ल्ड कप से मिलता-जुलता ही एक और टूर्नामेंट खेलने की क्या जरूरत है? आईसीसी का स्पष्टीकरण बस यही रहा कि इस टूर्नामेंट और वर्ल्ड कप को खेलने के लक्ष्य अलग हैं। तब तक खेले जा चुके 6 वर्ल्ड कप को टकराव देने के इरादे से एक और टूर्नामेंट खेलने वाली बात गलत है। इसीलिए नए टूर्नामेंट का नाम कतई ऐसा नहीं रखा जिसमें वर्ल्ड चैंपियनशिप जैसी झलक मिले। ये वर्ल्ड कप के मुकाबले छोटा टूर्नामेंट भी रखा।
मजेदार बात ये है कि अगर 1998 के इस टूर्नामेंट की, उस समय की अलग-अलग जगह की, रिपोर्ट देखें तो कई जगह इसका नाम विल्स इंटरनेशनल कप (Wills International Cup) भी लिखा मिल जाएगा। आईसीसी ने कभी इस नाम को गलत नहीं बताया बल्कि वे खुद, इस नाम का इस्तेमाल भी करते रहे। ये वर्ल्ड कप के अलावा पहला ऐसा टूर्नामेंट था जिसमें सभी टेस्ट देश शामिल थे। और तो और, इसे मीडिया में कई जगह, इसी सब की वजह से 'मिनी वर्ल्ड कप' भी लिखा गया। विजडन ने भी इसे 'मिनी वर्ल्ड कप' लिखा और ये उनका टूर्नामेंट को महत्व देने का तरीका था।
विश्वास कीजिए जब 1997 में पहली बार इस तरह का टूर्नामेंट खेलने की बात चर्चा में आई थी तो इस मिनी वर्ल्ड कप का नाम ही दे रहे थे। जब इस पर आईसीसी के अपने ही वर्ल्ड कप को मुकाबला देने की बात उठी तो तो ये मिनी वाला नाम छोड़ दिया। उसके बाद सबसे ज्यादा वोट आईसीसी नॉकआउट टूर्नामेंट नाम को मिले। जब विल्स स्पोर्ट स्पांसर बने तो ये 'विल्स इंटरनेशनल कप' हो गया। इसीलिए आईसीसी ने मीडिया के 'मिनी वर्ल्ड कप' नाम को प्रयोग करने को कभी पसंद नहीं किया पर आम सोच यही रही कि इसे 'वर्ल्ड कप' से जोड़ेंगे तभी इसे भाव मिलेगा।
इस टूर्नामेंट के बारे में सोचने का श्रेय, भारत से आईसीसी में क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर जगमोहन डालमिया को दिया जाता है और तब सारा जोर पैसा कमाने पर था। बांग्लादेश खेला नहीं पर मेजबान था। जगमोहन डालमिया की अपनी कोशिशों से ही विल्स स्पांसर थे टूर्नामेंट के। रिकॉर्ड में ये दर्ज है कि 1998 में इससे 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई थी जो उस समय आईसीसी के लिए बहुत बड़ी बात थी।
2000 आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी नाम से ही इस टूर्नामेंट को दूसरी बार खेले। ये इस नाम से इसका आख़िरी साल था। बाद में इसका नाम बदलकर आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी कर दिया था। उसके बाद आईसीसी ने इसे चैंपियंस ट्रॉफी नाम से ही आयोजित किया।
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- चरनपाल सिंह सोबती