जब वर्ल्ड कप विजेता टीम को वापस लाने के लिए चार्टर फ्लाइट के पायलट ने ऑटोमेटिक लैंडिंग की
दिन था 17 मार्च का वर्ल्ड कप 1996 का श्रीलंका-ऑस्ट्रेलिया फाइनल। वह श्रीलंका के खेल इतिहास का सबसे बड़ा दिन था- फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराकर विल्स वर्ल्ड कप जीते थे। श्रीलंका में हर कोई चाहता था कि टीम वर्ल्ड कप

अगर टीम इंडिया का ब्रिजटाउन में टी20 वर्ल्ड कप 2024 जीतना एक बड़ी स्टोरी है तो उसके बाद टीम की घर वापसी भी कोई कम स्टोरी नहीं। चार्टर फ्लाइट का इंतजाम, तूफ़ान (Hurricane Beryl) में कुछ राहत के बाद ग्रांटली एडम्स इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Grantley Adams International Airport) पर फिर से काम शुरू होना, उस चार्टर फ्लाइट का एक ख़ास नंबर (AIC24WC – Air India Champions 24 World Cup), फ्लाइट के दौरान की अलग-अलग हाथों में आई ट्रॉफी की विवाद खड़े करती तस्वीरें, लंबी फ्लाइट (16 घंटे) के बाद- बिना आराम और समय में आए लगभग 10 घंटे के फर्क को चेहरे पर दिखाए, दिल्ली में पीएम से मुलाकात, मुंबई में ओपन बस रोड शो और फिर क्रिकेटरों का अपने-अपने शहर में जोरदार स्वागत और इनाम की बरसात- ये सभी ख़ास हैं और आगे भी इनके बारे में कई नई बातें सामने आती रहेंगी।
ये कोई ऐसा पहला मौका नहीं कि बीसीसीआई ने टीम के ट्रेवल का इंतजाम चार्टर फ्लाइट से किया पर तूफ़ान की वजह से दुनिया के उस हिस्से में जो हालात बन गए थे वे इस बार के इंतजाम को ख़ास बना गए। विश्वास कीजिए- भारत से कोई विशेष प्लेन नहीं भेजा गया था। जो फ्लाइट नेवार्क (Newark) से दिल्ली जा रही थी उसके यात्रियों को एयर इंडिया की दूसरी फ्लाइट में ट्रांसफर किया और इस तरह से मिले प्लेन को टीम के लिए ग्रांटली एडम्स एयरपोर्ट भेज दिया।
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ये सब ख़ास है और इसे पढ़ते हुए, क्या क्रिकेट में कोई ऐसी ही 'वर्ल्ड कप फ्लाइट' याद आती है? एक स्टोरी और है जो उस दौर की है जब मोबाइल और इंटरनेट नहीं थे- तब इंतजाम कैसे किया होगा इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। उस फ्लाइट का तो पायलट भी न सिर्फ क्रिकेट, वर्ल्ड कप का हिस्सेदार था। ये क्रिकेट में ट्रेवल की सबसे मजेदार स्टोरी में से एक है। इसके लिए सीधे लाहौर चलना होगा और दिन था 17 मार्च का वर्ल्ड कप 1996 का श्रीलंका-ऑस्ट्रेलिया फाइनल।
वह श्रीलंका के खेल इतिहास का सबसे बड़ा दिन था- फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराकर विल्स वर्ल्ड कप जीते थे। श्रीलंका के लिए ये वर्ल्ड कप जीतना किसी परी कथा जैसा था- इस कामयाबी की भविष्यवाणी शायद ही किसी ने की थी। जो टीम पिछले 5 वर्ल्ड कप में, पहले राउंड से आगे नहीं बढ़ पाई थी- वह वर्ल्ड कप जीत गई। पूरा श्रीलंका देश खुशी से झूम उठा। टीम लौटी भी नहीं और सरकार एवं अन्य संस्थाओं ने विजेता टीम के खिलाड़ियों के लिए प्लॉट, नकद इनाम और अवार्ड घोषित कर दिए। इस सब से माहौल में और गर्मी आ गई- श्रीलंका में हर कोई चाहता था कि टीम वर्ल्ड कप के साथ फ़ौरन वापस लौट आए और उतने ही बेताब थे क्रिकेटर भी- इस खुशी को अपने देश के लोगों और परिवार के साथ बांटने के लिए।
अब सवाल ये था कि एकदम लौटने का इंतजाम कैसे हो? इस सब के बारे में तो श्रीलंका बोर्ड ने भी नहीं सोचा था और टीम को तय प्रोग्राम के हिसाब से अगले दिन एक नियमित कमर्शियल फ्लाइट से लौटना था। पूरा देश तब गृहयुद्ध में फंसा था और हर चेहरे पर इस खबर की वजह से कुछ राहत आई थी और इसीलिए अर्जुन रणतुंगा की टीम हीरो बन गई थी। टीम का हर खिलाड़ी अड़ गया था- उसी रात घर लौटना है।