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क्रिकेट की सबसे सनसनीखेज शेयर बाजार स्टोरी,जिसमें महान बल्लेबाज Don Bradman थे आरोपी क्रिकेटर 

Don Bradman Share Market: भारत में गलीनुक्कड़, अखबार और महफ़िल में चर्चा के आम टॉपिक- फिल्म, क्रिकेट, राजनीति और शेयर बाजार हैं। भारत में क्रिकेट और शेयर बाजार को जोड़ें तो मौजूदा दौर के कई क्रिकेटर के स्टॉक में इन्वेस्ट...

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क्रिकेट की सबसे सनसनीखेज शेयर बाजार स्टोरी,जिसमें महान बल्लेबाज Don Bradman थे आरोपी क्रिकेटर 
क्रिकेट की सबसे सनसनीखेज शेयर बाजार स्टोरी,जिसमें महान बल्लेबाज Don Bradman थे आरोपी क्रिकेटर  (Image Source: Twitter)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Nov 05, 2024 • 10:06 AM

Don Bradman Share Market: भारत में गलीनुक्कड़, अखबार और महफ़िल में चर्चा के आम टॉपिक- फिल्म, क्रिकेट, राजनीति और शेयर बाजार हैं। भारत में क्रिकेट और शेयर बाजार को जोड़ें तो मौजूदा दौर के कई क्रिकेटर के स्टॉक में इन्वेस्ट करने का जिक्र मिलता है पर क्रिकेट में इस मामले में एक स्टोरी तो कई साल पुरानी है और इसमें हैरानी है उस क्रिकेटर का नाम जिनका क्रिकेट में सबसे बड़ा परिचय बनाए रन और 100 के स्कोर हैं। 

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
November 05, 2024 • 10:06 AM

इसके लिए किस्सा लगभग 90 साल पहले से शुरू करना होगा यानि कि 1934 का साल जब डॉन ब्रैडमैन अपने शहर सिडनी को छोड़ कर एडिलेड आए थे। ब्रैडमैन को इसके लिए राजी किया हेनरी वारबर्टन जूनियर (Henry Warburton Hodgetts Jnr) ने और तब कहते थे कि जो कोई सोच भी नहीं सकता था, उन्होंने वह कमाल कर दिया है। ब्रैडमैन को दो कॉन्ट्रैक्ट मिले थे- हॉजेट्स के क्लब केंसिंग्टन के लिए खेलना और उनकी मशहूर स्टॉक ब्रोकिंग फर्म में नौकरी। तय हो गया था कि ब्रैडमैन अगले एशेज टूर से इंग्लैंड से लौटेंगे तो काम शुरू कर देंगे। ब्रैडमैन को अपने खेल के सामान के बिजनेस में बड़ा घाटा हुआ था और उन्हें तब काम की सख्त जरूरत थी। 

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स्टॉक ब्रोकिंग में तब भी उथल-पुथल होती रहती थी। ब्रैडमैन जैसे क्रिकेटर को एडिलेड लाने से बहरहाल हॉजेट्स का साउथ ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट एसोसिएशन में रूतबा एकदम बढ़ गया। वे इसके बाद एक और बेहतरीन युवा बल्लेबाज जैक बैडकॉक को तस्मानिया से ले आए। नतीजा- साउथ ऑस्ट्रेलिया की टीम मजबूत हो गई और अगले 4 में से 2 साल शेफ़ील्ड शील्ड जीती और बचे दोनों साल नंबर 2 थे। हॉजेट्स ने बड़ी होशियारी से ब्रैडमैन को नौकरी में दी जाने वाली 700 पौंड की सेलेरी में से 500 पौंड क्रिकेट एसोसिएशन से मंजूर करा लिए। 

ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट की किताबों में लिखा है कि ब्रैडमैन वास्तव में वहां क्रिकेट खेलने ही आए थे पर वे एचडब्ल्यू हॉजेट्स एंड कंपनी (HW Hodgetts & Co) के काम में भी रूचि लेने लगे और स्टॉक ब्रोकिंग सीखने लगे। ये तो सब जानते हैं कि ब्रैडमैन में बड़ा पैसा कमाने की बड़ी चाह थी और उनके पास इसके लिए बड़ा चुस्त दिमाग भी था। हॉजेट्स, उधर ब्रैडमैन को क्रिकेट में प्रमोट करते रहे और उन्हें पहले तो साउथ ऑस्ट्रेलिया और फिर ऑस्ट्रेलियाई कप्तान बनाया। 

किस्मत ने बहरहाल पलटा खाया। शेयर बाजार में हॉजेट्स की कंपनी को बड़ा घाटा हुआ और वह रातों-रात दिवालिया हो गई। हॉजेट्स के ब्रोकर एजेंट एलन हॉल ने गड़बड़ी पकड़े जाने पर आत्महत्या कर ली- वे ग्राहकों के शेयर सिक्योरिटी रख, लोन से पैसा उठा रहे थे। इस गबन का आरोप भी हॉजेट्स पर लगा। उधर दूसरे वर्ल्ड वॉर की खबरें आने लगीं यानि कि काम संभलने के कोई आसार नहीं नजर आ रहे थे। ब्रैडमैन की इस सब पर नजर थी। हॉजेट्स की कंपनी 120,000 पाउंड से ज्यादा के कर्ज के साथ डूब गई और वे जून 1945 में दिवालिया हो गए। उन्हें 5 साल की सजा मिली और जब कोर्ट में केस चला तो पता चला कि ब्रैडमैन तब तक इसी कंपनी के मार्फत न सिर्फ अपनी एक्सचेंज में सीट बनवा चुके थे, कंपनी के 238 लेनदारों में से भी एक थे। 

यहां से इस स्टोरी ने एक नाटकीय मोड़ लिया। उस समय की अखबारों के अनुसार, ब्रैडमैन ने हॉजेट्स की मुश्किलों का फायदा उठाकर, उसी दौरान उनके ऑफिस से व्यापार की पूरी जानकारी और ग्राहक लिस्ट निकाल ली और बिना देरी किए, करीब ही अपना ऑफिस खोल लिया तथा एडिलेड स्टॉक एक्सचेंज के मेम्बर बन गए। उन पर किसी दूसरे की मजबूरी का फायदा उठाने का आरोप लगा। ब्रैडमैन ने इसके बाद हॉजेट्स से कन्नी काट ली। 

होजेट्स तबीयत ख़राब होने के कारण जल्दी रिहा तो हो गए पर 1949 में कैंसर से उनकी मौत हो गई। कहते हैं ब्रैडमैन, उसके बाद हॉजेट्स की मौत तक भी उनसे नहीं मिले। व्यापार जगत में ब्रैडमैन के इस एक्शन की बड़ी आलोचना हुई। हॉजेट्स के ऑफिस से निकाली ग्राहक लिस्ट से ब्रैडमैन ने अपना व्यापार जमा लिया। विश्वास कीजिए अखबारों में तब 'द डॉन की फाइनेंशियल घोटाले में अंडरआर्म स्ट्रेटजी' जैसे हेडिंग छपे। ये आरोप ब्रैडमैन की मौत के बाद फिर से चर्चा में आ गए। ब्रैडमैन के परिवार ने बार-बार इन आरोप का खंडन किया कि वे एक समय अपने स्टॉक ब्रोकिंग बॉस की मौत का फायदा उठाने वालों में से एक थे और उनकी कोई मदद नहीं की। 

सबसे ज्यादा हंगामा हुआ मशहूर 'ऑस्ट्रेलियन (Australian)' में डेविड नैसन (David Nason) के एक आर्टिकल से जिसका हेडिंग था 'द डॉन वी नेवर न्यू (The Don we never knew)' और दावा किया कि ब्रैडमैन इतने चतुर थे कि साउथ ऑस्ट्रेलिया इतिहास के सबसे बड़े फाइनेंशियल घोटाले को अपने फायदे में बदल दिया और वह भी खतरे की पहली घंटी बजने के 48 घंटों के भीतर।

इस आर्टिकल में कहा गया कि ब्रैडमैन ने कोर्ट द्वारा नियुक्त ऑफिशियल रिसीवर को भी फंसा लिया और उसने होजेट्स का पूरा व्यापार और उनके 4000 ग्राहक ऑफिशियल तौर पर ब्रैडमैन के हवाले कर दिए। आम तौर पर ऐसे एक्शन में एक महीना लग जाता है पर यहां दो दिन में रिपोर्ट आ गई और होजेट्स के दिवालिया घोषित होने के सिर्फ़ 48 घंटे बाद, रिसीवर ने डॉन ब्रैडमैन एंड कंपनी नाम की नई फर्म को होजेट्स का व्यापार शुरू करने की इजाजत दे दी, उनके ऑफिस में जाने और बिना किसी फीस सारी जानकारी लेने की छूट दे दी। 

इस पर सभी हैरान थे। स्टॉक मार्केट का तब नियम था कि एक ब्रोकर, दूसरे के ग्राहक से संपर्क नहीं कर सकता। इसलिए रिसीवर ने होजेट्स का पूरा व्यापार ही ब्रैडमैन को दे दिया जबकि ग्राहक लिस्ट के ऑक्शन से बड़ी रकम मिल जाती। इस आर्टिकल के छपने से डॉन के परिवार के कई लोग उनसे नाराज हो गए। दूसरी तरफ ब्रैडमैन परिवार और ब्रैडमैन फाउंडेशन ने ऑफिशियल स्टेटमेंट दी- 'ये दुख की बात है कि ऑस्ट्रेलियन जैसे प्रतिष्ठित अखबार ने सर डोनाल्ड की मौत के लगभग 8 महीने बाद ऐसी रिपोर्ट प्रकाशित की है और ख़ास तौर पर तब जबकि सर डोनाल्ड जवाब देने के लिए जीवित नहीं। ये स्पष्ट रूप से उनके और उनके परिवार के लिए अपमानजनक है।' उनके बेटे जॉन ने भी कहा- 'ये गलत है कि ये सब तब छापा जब मेरे पिता अपने बचाव में कुछ नहीं कह सकते।'

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- चरनपाल सिंह सोबती  

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