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77 साल पहले की 30 जनवरी ने क्रिकेट में एक अनोखा नजारा दिखाया, जब महात्मा गांधी की हुई थी हत्या

किसी बड़ी हस्ती के निधन की खबर के क्रिकेट पर असर के जिक्र में आम तौर पर किंग जार्ज, श्रीमति इंदिरा गांधी और क्वीन एलिजाबेथ के निधन की खबर चर्चा में आती है। एक अनोखी क्रिकेट घटना, नई दिल्ली में

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77 साल पहले की 30 जनवरी ने क्रिकेट में एक अनोखा नजारा दिखाया, जब महात्मा गांधी की हुई थी हत्या
77 साल पहले की 30 जनवरी ने क्रिकेट में एक अनोखा नजारा दिखाया, जब महात्मा गांधी की हुई थी हत्या (Image Source: Twitter)
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Jan 30, 2025 • 10:43 AM

किसी बड़ी हस्ती के निधन की खबर के क्रिकेट पर असर के जिक्र में आम तौर पर किंग जार्ज, श्रीमति इंदिरा गांधी और क्वीन एलिजाबेथ के निधन की खबर चर्चा में आती है। एक अनोखी क्रिकेट घटना, नई दिल्ली में 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी के निधन से भी जुड़ी है। 77 साल पहले, उन दिनों में भारत की टीम ऑस्ट्रेलिया टूर पर थी। उस टूर की सबसे बड़ी खासियत थी- देश की आजादी के बाद भारत की क्रिकेट टीम का पहला इंटरनेशनल टूर और पहली टेस्ट सीरीज। इस सीजन के ऑस्ट्रेलिया टूर में सिडनी के आख़िरी टेस्ट के खत्म होने की तय तारीख 7 जनवरी 2025 थी पर 1947-48 के टूर में एडिलेड में चौथा टेस्ट ही 28 जनवरी 1948 को खत्म हुआ था। इस तरह जब महात्मा गांधी के निधन की खबर आई तो सीरीज में न सिर्फ एक टेस्ट (6 फरवरी से शुरू), दो अन्य टूर मैच भी बचे थे- मिल्ड्यूरा में विक्टोरियन कंट्री इलेवन (31 जनवरी से शुरू) और वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया (20 फरवरी से शुरू) के विरुद्ध। 30 जनवरी को महात्मा गांधी का निधन हुआ और 31 जनवरी से मिल्ड्यूरा में मैच था।

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
January 30, 2025 • 10:43 AM

महात्मा गांधी की हत्या के बाद, भारत में जिस तरह से माहौल बिगड़ा, उसकी खबरें ऑस्ट्रेलिया भी पहुंच रही थीं और टीम के क्रिकेटर न सिर्फ सदमे में थे, बड़ी चिंता में भी थे। तब आज की तरह से न तो भारतीय प्रेस और टीवी रिपोर्टर का काफिला टीम के साथ होता था और न ही खबरें आज की तरह से बाहर आती थीं। निधन की खबर सबसे पहले टीम मैनेजर पंकज गुप्ता को मिली और उन्होंने इस खबर को खिलाड़ियों को बताया।

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भारत-ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट पर अपनी किताब 'इंडियन समर्स (Indian Summers) में ऑस्ट्रेलिया के बेहतरीन क्रिकेट इतिहासकार गिदोन हे (Gideon Haigh) ने लिखा है- पंकज गुप्ता ने तब कहा था कि खिलाड़ियों को ये खबर सुनकर बड़ा धक्का लगा। रातमें किसी को भी नींद नहीं आई। सभी उदास थे और आकाशवाणी से प्रसारित हो रहा ब्यौरा सुनते रहे- 'हम में से कुछ लोग तो यह खबर सुनकर रो पड़े।'

टीम इतनी हिल गई थी कि टूर को बीच में ही रद्द करने के बारे में सोचा जाने लगा था। बहरहाल मेजबान के टूर इंतजाम और इस मामले में बीसीसीआई से कोई स्पष्ट निर्देश न मिलने के कारण, टूर को बीच में रोकने का इरादा छोड़ दिया और टीम तो 31 जनवरी से शुरू होने वाले मैच में भी खेली। असली इम्तिहान था मेलबर्न में आख़िरी टेस्ट। आपको बता दें कि उस टूर में मेलबर्न में दो टेस्ट खेले थे- सीरीज का तीसरा टेस्ट 1 जनवरी से और आखिरी टेस्ट 6 फरवरी से। 

जब 6 फरवरी 1948 को, एमसीजी में टेस्ट शुरू होना था तो खेल से पहले, स्टेडियम में वह नजारा देखने को मिला जो इससे पहले यहां कभी नहीं देखा गया था। हालांकि  महात्मा गांधी का निधन हुए लगभग एक हफ्ता बीत चुका था, पूरे स्टेडियम में सभी ने खड़े होकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। ऑस्ट्रेलिया में किसी भी गैर-ब्रिटिश को, इससे पहले, इस तरह से सम्मानित नहीं किया गया था। सभी ने एक मिनट का मौन रखा। इस माहौल में हर कोई ये सोच रहा था कि क्या भारत की टीम टेस्ट खेलने के लिए सही मानसिक स्थिति में है? ऐसा सोचा जाना, कतई हैरान करने वाला नहीं था। 

भारत यह टेस्ट पारी और 177 रन से हार गया। ऑस्ट्रेलिया के 575/8 पारी घोषित के जवाब में भारत ने विजय हजारे (74) और दत्तू फडकर (56) के फिफ्टी की मदद से 331 रन बनाए और फॉलोऑन किया। इस बार तो सिर्फ 67 रन बनाए और कोई भी 17 रन को पार न कर सका। अखबारों में तब लिखा गया था कि टीम के खिलाड़ियों का ध्यान जल्दी से जल्दी घर लौटने पर था। 

1948 में द हिंदुस्तान टाइम्स (The Hindustan Times) ने एक किताब 'मेमोरीज़ ऑफ बापू (Memories of Bapu) प्रकाशित की थी। इस किताब में एक फोटो मेलबर्न स्टेडियम की भी है जिसमें एक लाइन में  खड़े, परेशान से दिख रहे, भारतीय क्रिकेटर, महात्मा गांधी की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। उस समय के हालात पर मेलबर्न क्रिकेट क्लब लाइब्रेरी की पत्रिका 'द यॉर्कर (The Yorker) के 2007/8 अंक में भी इस टूर के बारे में लिखा गया। उसमें भी ये लिखा है कि भारतीय टीम ने, इन हालात में, क्रिकेट खेलने को, अपने दुख के बावजूद, चुनौती के तौर पर लिया और टूर को पूरा करने का फैसला किया। 

कई साल बाद, गोपालकृष्ण देवदास गांधी (भूतपूर्व एडमिनिस्ट्रेटर एवं डिप्लोमेट तथा महात्मा गांधी और सी राजगोपालाचारी के पोते) ने लिखा- 'हमारे क्रिकेटरों की तस्वीर मैं कभी भूल नहीं सकता। कोई भी खिलाड़ी कैमरे की ओर नहीं देख रहा है। वे कैमरे के बारे में या तस्वीर के लिए पोज देने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। उनकी संवेदनाएं मारे गए नेता और उनकी हत्या के साथ हैं। इस तस्वीर को देखने वाला कोई भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि क्रिकेटर अपनी फोटो पर इतने ज्यादा जुनूनी होते हैं कि उन्हें अपने से, अपने स्कोर से, मैदान पर और मैदान के बाहर अपनी कमाई से परे, कुछ भी नहीं सूझता। मेलबर्न में कोई भी सेल्फी उस क्षण को कैद नहीं कर सकती थी।'

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- चरनपाल सिंह सोबती

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