जब एक गलत स्टेटमेंट ने टीम इंडिया के टेस्ट क्रिकेटर का वीजा रिजेक्ट कराया,जेसिका लाल मर्डर केस से जुड़ा मामला
आजकल युवराज सिंह (Yuvraj Singh) से ज्यादा उनके पिता योगराज सिंह (Yograj Singh) चर्चा में हैं। वैसे उन्हें युवराज वाले परिचय की कोई जरूरत नहीं क्योंकि उनकी अपनी भी एक पहचान है। 1 टेस्ट और 6 वनडे खेलने के अतिरिक्त

आजकल युवराज सिंह (Yuvraj Singh) से ज्यादा उनके पिता योगराज सिंह (Yograj Singh) चर्चा में हैं। वैसे उन्हें युवराज वाले परिचय की कोई जरूरत नहीं क्योंकि उनकी अपनी भी एक पहचान है। 1 टेस्ट और 6 वनडे खेलने के अतिरिक्त फिल्म और कोचिंग करियर भी उनके प्रोफ़ाइल में हैं। इस सब के साथ वे अपनी कुछ विवादस्पद स्टेटमेंट के लिए भी सुर्खियों में रहते हैं। इस बार आपको योगराज सिंह के नाम के साथ जुड़ी एक घटना बताते हैं- ऐसी घटना जो दबी रह गई।
इसका जिक्र शुरू होता है योगराज सिंह के फ़िल्मी करियर से। क्रिकेट से फिल्म करियर बनाने की कोशिश तो कई क्रिकेटरों ने की पर कोई भी योगराज सिंह जैसा कामयाब नहीं रहा। 1983 में 'बटवारा' से पंजाबी फिल्म डेब्यू और उसके बाद ही बॉलीवुड और पंजाबी सिनेमा दोनों में एक जाना-पहचाना चेहरा बन गए। इसी दौर की घटना है ये।
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एक बार योगराज सिंह ने एक फिल्म की शूटिंग के लिए कनाडा के वर्क परमिट के लिए अप्लाई किया। वीजा तो रिफ्यूज हुआ ही, अपनी वीजा एप्लीकेशन में गलत स्टेटमेंट के लिए उन पर 5 साल के लिए कनाडा में एंट्री का प्रतिबंध भी लगा दिया। क्या थी ये स्टेटमेंट और किस मामले में दी थी ये स्टेटमेंट?
अगर आप की भारत की क्राइम स्टोरी में रूचि है तो दिल्ली का मशहूर जेसिका लाल मर्डर केस जरूर याद होगा। उस केस में आरोपी थे मनु शर्मा। जब वे भागे तो कई जगह छिपे और न सिर्फ उन्हें छिपाने में योगराज सिंह का भी नाम आया, मर्डर में इस्तेमाल हथियार को नष्ट करने का भी आरोप लगा। योगराज सिंह को बाद में कोर्ट ने बरी कर दिया। बहरहाल ये केस और आरोप, योगराज सिंह के प्रोफाइल में जुड़ गए। जब उन्होंने कनाडा का वीजा अप्लाई किया तो उसमें इस केस का कोई जिक्र नहीं किया। वीजा एप्लीकेशन की जांच में, ये बात सामने आ गई और इसे 'गलत स्टेटमेंट' के आरोप के साथ उन्हें वीजा नहीं दिया (अप्रैल 2014 में) और एंट्री प्रतिबंध भी लगा।
ये सब यहीं खत्म हो जाता तो शायद बाहर किसी को भी पता न चलता। योगराज सिंह ने कनाडा एम्बेसी के इस फैसले को चैलेंज कर दिया और केस कोर्ट में पहुंच गया। ये नवंबर 2014 की बात है। इस केस पर कोर्ट ने (सुनवाई: 17 नवंबर 2014) जल्दी ही फैसला भी सुना दिया (Docket: IMM-3146-14, Citation: 2014 FC 1147, Ottawa, Ontario, November 28, 2014) और योगराज सिंह ये केस हार गए। इस केस के डॉक्यूमेंट्स में उनका नाम योगराज सिंह बुंदेल लिखा है और आज तक कई जगह, नाम बताए बिना इस केस का, ये बताने के लिए मिसाल के तौर पर जिक्र होता है कि कभी भी गलत रिपोर्टिंग न करो।
केस डॉक्यूमेंट के अनुसार वीजा एप्लीकेशन में सवाल था : क्या आपने कभी किसी देश में कोई आपराधिक अपराध किया है, उसके लिए गिरफ्तार हुए हैं, आरोपित हुए हैं या दोषी ठहराए गए हैं?
केस डॉक्यूमेंट के अनुसार : यदि सवाल का जवाब हां, तो उस केस के बारे में पूरी रिपोर्ट जरूरी है।
योगराज सिंह ने जवाब न में दिया। यह गलत था। उन पर भारत में लापरवाही से वाहन चलाने के मामले और हत्या के आरोपी एक भगोड़े को शरण देने के आरोप लगे थे। हालांकि बाद में अपील पर उन पर दोष सिद्ध नहीं हुआ लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि उन्हें इन दोनों मामलों के संबंध में गिरफ्तार कर लिया गया था और उन पर आरोप लगाए गए थे।
केस डॉक्यूमेंट में ये भी लिखा है कि योगराज सिंह को ऑफिशियल तौर पर वास्तविक स्थिति और अपने जवाब में फर्क को स्पष्ट करने का मौका दिया गया। इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका जवाब महज एक 'क्लेरिकल गलती' था क्योंकि उन्हें आखिर में तो आपराधिक आरोपों से बरी कर दिया गया था। इसलिए उनका मानना था कि इस सब का जिक्र जरूरी नहीं है। इस पर वह अधिकारी संतुष्ट नहीं था और स्पष्टीकरण की जांच पर पाया गया कि गलत बयानी हुई थी।
इस तरह उनकी अपील खारिज हो गई।
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- चरनपाल सिंह सोबती