जब टीम इंडिया 2007 टी-20 वर्ल्ड कप चैंपियन बनी तो कोच/ मैनेजर कौन था? नाम जानकर चौंक जाएंगे
एक बड़ा मजेदार मुद्दा है ये। सब जानते हैं कि 1983 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम इंडिया के मैनेजर पीआर मानसिंह थे- आज तक जब भी उस टीम का सम्मान किया जाता है तो वे बराबर सम्मानित होते हैं।
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एक बड़ा मजेदार मुद्दा है ये। सब जानते हैं कि 1983 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम इंडिया के मैनेजर पीआर मानसिंह थे- आज तक जब भी उस टीम का सम्मान किया जाता है तो वे बराबर सम्मानित होते हैं। सब जानते हैं कि 2011 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम इंडिया के कोच गेरी कर्स्टन थे- आज तक जब भी उस टीम की सफलता का जिक्र होता है- उनके योगदान का बराबर जिक्र होता है। 2007 में भी तो टीम इंडिया ने टी20 का वर्ल्ड कप (भले ही तब इवेंट का नाम ये नहीं था) जीता- उस टीम के मैनेजर या कोच का कहीं जिक्र नहीं होता। ये बड़ी हैरानी की बात है कि टीम के खिलाड़ी भी उस नाम का जिक्र नहीं करते। उनका तो नाम भी हर किसी को याद नहीं होगा। ऐसा क्यों? वास्तव में इस सवाल का कोई जवाब नहीं है।
शायद इसकी एक वजह वह गफलत भी है जिसके लिए और कोई नहीं, खुद बीसीसीआई जिम्मेदार है। 1983 में टीम के साथ मैनेजर गए थे- तब तक कोच भेजने का कोई सिस्टम नहीं था। इसके बाद क्रिकेट मैनेजर जोड़े गए टीम के साथ जो 'कोच' भी थे। उसके बाद चीफ कोच आए और 2007 तक तो हर टीम के साथ कोच आ चुके थे। रिकॉर्ड के हिसाब से टीम इंडिया के नियमित कोच की लिस्ट में ग्रेग चैपल (2005-07) के बाद गैरी कर्स्टन (2008-11) का नाम लिखा जाता है। असल में इन दो के बीच कुछ महीने कोई कोच अपॉइंट नहीं किया था और इसी बीच के महीनों में 2007 का आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप आ गया।
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ग्रेग चैपल का तो कॉन्ट्रैक्ट ही 2007 वनडे वर्ल्ड कप तक था। 4 अप्रैल 2007 को उन्होंने बोर्ड को लिखा कि वे आगे कोच नहीं बनना चाहते (क्यों- ये एक अलग स्टोरी है) और इसलिए इसे उनके कोचिंग दौर का अंत मानते हैं। उस समय मई 2007 का भारत का बांग्लादेश टूर (टेस्ट और वनडे) सामने था। अब इतनी जल्दी तो किसी को नियमित कोच बना नहीं सकते थे इसलिए अंतरिम कोच बनाया और 7 अप्रैल को ही उस टूर के लिए रवि शास्त्री का नाम इस ड्यूटी के लिए घोषित कर दिया।
वह टूर भी हो गया। 11 सितंबर 2007 से टी20 वर्ल्ड कप शुरू था इसलिए नियमित कोच की सख्त जरूरत थी। बीसीसीआई ने तब भी, कोई ख़ास फुर्ती नहीं दिखाई और इसके अतिरिक्त बीसीसीआई के लिए इतनी उलझन सामने थीं कि उनमें नियमित कोच बनाना तो वरीयता में टॉप पर था ही नहीं। ऐसे में सोचा यही जाएगा कि रवि शास्त्री को ही इस बार भी अंतरिम कोच बना देते पर नहीं बनाया।