Vidarbha ranji cricket team
इंटरव्यू विदर्भ के कोच चंद्रकांत पंडित: विदर्भ का दो साल में चार घरेलू खिताब जीतना गर्व की बात
23 फरवरी। एक समय था जब घरेलू क्रिकेट में विदर्भ को बिल्कुल भी तवज्जो नहीं दिया जाता था लेकिन बीते दो साल में हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। दो साल में चार घरेलू खिताब अपने नाम कर विदर्भ दिग्गजों की सूची में आ गया है और अब इससे भिड़ने से हर टीम डरती है।
विदर्भ को फर्श से अर्श तक ले जाने में सबसे अहम भूमिका इसके कोच चंद्रकांत पंडित की रही है। पंडित मानते हैं कि यह टीम पहले से ही प्रतिभा सम्पन्न थी, बस उसे अपनी प्रतिभा को पहचानने और इसका सही इस्तेमाल करना सिखाना था, जो उन्होंने किया।
साक्षात्कार में अपनी बात को साबित करने के लिए पंडित ने हिन्दी की कहावत का हवाला देते हुए कहा, "नाचने वाले तो होते हैं लेकिन उन्हें नचाने वाला भी चाहिए होता है।" पंडित ने विदर्भ को मदारी बनकर खूब मेहनत कराई और परिणाम यह है कि घरेलू क्रिकेट की हर दिग्गज टीम विदर्भ का नाम सुन पहले से ज्यादा तैयार रहती है। अब तो आलम यह है कि शेष भारत एकादश जैसी टीम के कप्तान भी यह कह चुके हैं कि दूसरी टीमों को विदर्भ से सीखना चाहिए।
पंडित को हालांकि सामने आना पसंद नहीं है। वह पर्दे के पीछे रहकर काम करना चाहते हैं और यही करते आए हैं। वह बेशक मानते हैं कि उनके आने से विदर्भ बदली है लेकिन इसके पीछे पंडित खिलाड़ियों का भी योगदान मानते हैं और कहते हैं, "अगर खिलाड़ी रिस्पांस नहीं करते तो चीजें नहीं होती। मेरी बात पर खिलाड़ियों ने रिस्पांस किया तभी हम जीत सके।"
पंडित ने कहा, "खेलते तो काफी लोग हैं। हर टीम में लोग खेलते हैं। हर टीम में खिलाड़ियों की योग्यताएं होती हैं। मैंने ज्यादा कुछ नहीं किया है, बस विदर्भ के खिलाड़ियों का माइंडसेट बदला है। अब इसके अंदर काफी चीजें आती हैं। जैसे हम यह कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं। हमें जीतने के लिए खेलना है। हम तकलीफ में आते हैं तो उससे हमें बाहर कैसे निकलना है। यह जो आत्मविश्वास है वो आत्मविश्वास उनके अंदर आने लगा।"
पंडित ने कहा, "मुझे लोग बोलते हैं कि आपने उनका माइंडसेट बदलवा दिया, लेकिन इस पर खिलाड़ियों का रिस्पांस भी जरूरी है। हर कोच अपनी तरफ से कोशिश करता है, अपने तरीकों से बेहतर करने की कोशिश करता है। मेरे तरीके थोड़े से अलग हैं। लोगों को पता है कि मैं थोड़ा सा सख्त हूं। किसी ने मुझे कहा था कि दवा जो होती है वो हमेशा कड़वी होती है। इसके बावजूद लोग खाते हैं क्योंकि वह इंसान को विकाररहित करती है। हिन्दी में एक कहावत है, नाचने वाला होता है लेकिन नचाने वाला भी होना चाहिए। मैंने तो बस इन लड़कों को नचाने का काम किया है। नाचना (खेलना) तो उन्हें पहले से आता था।"
पंडित ने विदर्भ की सफलता में अपने आप को पीछे रखते हुए खिलाड़ियों की मेहनत का प्राथमिकता दी और इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए उन्होंने दिग्गज खिलाड़ी वसीम जाफर और विदर्भ के कप्तान फैज फजल को भी सराहा। पंडित ने कहा, "जाफर के रहने से खिलाड़ियों को मुझे और मुझे खिलाड़ियों को समझने में मदद मिली।"
पंडिता के मुताबिक, "मैं इस शानदार सफर के लिए एक और शख्स को श्रेय देना चाहूंगा वो हैं वसीम जाफर। जाफर ने खिलाड़ियों को मेरे और मुझे खिलाड़ियों के बारे में अवगत कराया। उनकी मदद मेरे लिए बहुत जरूरी थी क्योंकि हम दोनों एक ही कल्चर से आते हैं। जहां हमें सिखाया गया है कि 'खड़ूसनेस' क्या होती है। जहां हमें सिखाया गया है कि आप क्रिकेट खेलते हो तो जीतने के लिए लेकिन इससे भी ज्यादा जो बात मायने रखती है वो यह है कि आप कैसे क्रिकेट खेलते हो।"
अपनी और जाफर की जोड़ी के बारे में पंडित ने आगे कहा, "मैं जब मुंबई का कोच था तब वसीम मेरे साथ थे। वह मेरे बारे में जानते हैं, इसलिए उन्होंने खिलाड़ियों को मुझे समझने में मदद की। वह अनुभवी हैं। उनके पास जानकारी भी है। वह युवा खिलाड़ियों को मैच संबंधी सलाह भी देते हैं। इस तरह उन्होंने एक काफी अहम रोल निभाया है।"
उन्होंने कहा, "कई बार खिलाड़ी मेरे पास आने में डरते थे तो वह वसीम के पास जाते थे। वसीम ने हमेशा खिलाड़ियों के संदेश मुझ तक पहुंचाए हैं कि वह किस तरह का महसूस कर रहे हैं। इससे मुझे खिलाड़ियों को समझने में मदद मिली है और फिर मैंने खिलाड़ियों को अपने कमरे में बुलाकर उनसे बात की है और उन्हें आत्मविश्वास दिया।"
पंडित कप्तान फैज फजल का योगदान भी नहीं भूलते। पंडित ने कहा, "जाफर के अलावा फजल ने भी बड़ा रोल अदा किया। यह दोनों मेरे लिए 'ओल्डर शिप' की तरह हैं। क्योंकि इन्होंने आश्वस्त किया कि टीम एक साथ रहे, सिस्टम एक साथ काम करे, जो हो एक प्रक्रिया से हो। यह चीजें थी जो वसीम और फैज ने टीम में स्थापित करने में मदद की। इससे युवा खिलाड़ियों को फायदा हुआ। धीरे-धीरे इस सिस्टम ने टीम में जगह बना ली और फिर हार न मानने की मानसिकता टीम में आ गई।"
उन्होंने कहा, "मैं टीम मीटिंग में आदेश दे रहा था और काफी सख्त भी था। कई बार आपको सख्त को होना होता है, तो कई बार आपको एक दोस्त की तरह बात करनी होती है। जब टीम ने जीतना शुरू कर दिया तो उन्होंने विश्वास भी करना शुरू कर दिया है कि वह जीत सकते हैं।"
Related Cricket News on Vidarbha ranji cricket team
-
Vidarbha, the new powerhouse of domestic cricket
New Delhi, Feb 17 (CRICKETNMORE): Mumbai, Delhi, Karnataka and Tamil Nadu are the teams which have always dominated the domestic cricket circuit. However, Vidarbha -- one of the lower rated ...
-
ईरानी कप का खिताब विदर्भ ने जीता, शेष भारत की टीम को मिली हार
16 फरवरी। रणजी चैम्पियन विदर्भ ने पहली पारी में मिली बढ़त के आधार पर शेष भारत एकादश को हराकर शनिवार को ईरानी कप खिताब लगातार दूसरी बार अपने नाम कर ...
-
Wasim Jaffer double ton puts Vidarbha in top position
Nagpur, March 15 (CRICKETNMORE) - Vidarbha rode on veteran opener Wasim Jaffer's unbeaten 285 to post a mammoth 589/3 against a hapless Rest of India (ROI) attack on the second ...
Cricket Special Today
-
- 06 Feb 2021 04:31